जंग आज भी जारी हैं
खुद से
खुद के सपनों से..
हौसले आज भी बुलंद हैं
कि लक्ष्य को हर हाल में
हर कीमत पर भेदना हैं
क्योंकि
प्रयास आज भी जारी हैं
खुद से
खुद के सपनों से...
डर कब तक कदम खींचेगा...
हिम्मत तो बलशाली हैं...
कब तक गिराएंगे लोग मुझे...
संकल्प मेरा अटल हैं..
न हार माननी है न डरना हैं
क्योंकि
ज़िंदगी अभी बाकी हैं
लडना होगा
खुद से
खुद के सपनों के लिए...
जितना रोक लें ...
न रूकेगा अब यह...
जब तक न कर लें हासिल मुकाम..
बेशक हारूं...
पर रूकूंगा नहीं
तब तक...
न पा लूं वो मुकाम
जिसके लिए प्रयास जारी हैं...
मरते दम तक...
चट्टान सा
मेरा दृढ़ निश्चय हैं...
कब तक मैं हारूंगा...
जीतना हैं
और ठान लूं अगर...
तो कौन रोक पाएगा मुझे...
जब तक हार को जीत न लूं...
तब तक डटा रहूंगा..
क्योंकि
कोशिश करने वाले हारते नहीं...
और जब तक न मिले मंजिल
तब तक थकते नहीं...।