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अनकहे राज है तो अनकहे लफ्ज़,
ग़म की उदासी है तो चेहरे पर दबी मुस्कान,
कुछ तो खास है तेरे मेरे दरमियान,
जो अनकहा अनचाहा सा लगाव है,
कुछ तो खास है तेरे मेरे दरमियान,
दुख तेरे मुझको भी दर्द देते हैं,
चेहरे पर मुस्कराहट तेरी मुझको भाती है,
कुछ तो खास है कुछ तेरी मेरी कहानी में,
जो अनकहा अनचाहा सा लगाव है,
कुछ तो खास है तेरे मेरे दरमियान,
वो ख़त आज भी पढ़ती हूं चुपके से,
वो शायरी आज भी मेरे कानों में गूंजती है,
कुछ तो खास है तेरे मेरे बीच में,
जो अनकहा अनचाहा सा लगाव है,
कुछ तो खास है तेरे मेरे दरमियान,
वो बातें तेरी आज भी चेहरे पर मुस्कराहट लाती है,
वो यादें आज भी तेरी याद में मुझे रूलाती है,
कुछ तो है खास जो मुझे खींच रहा तेरी ओर है,
जो अनकहा अनचाहा सा हमारे बीच लगाव है,
कुछ तो खास है तेरे मेरे दरमियान,
होंठों पर चुप्पी है दिल में बेचैनी है,
न तुम कुछ कहते न मैं कुछ बोल पाती,
यह कैसी अजब हमारी कहानी है,
न दूर हम रह पाते न पास हम हो पाते,
न जाने कैसी यह एक पहेली हैं,
न हम कुछ कहते न तुम कुछ बोलते,
फिर भी कुछ तो खास है तेरे मेरे दरमियान,
जो बांधे है हमें एकदूजे से,
कुछ तो है तेरे मेरे दरमियान।

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