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मन में हजारों सवाल लिए निकल पड़ी थी वो लड़की,
इस आशा में कि कहीं तो मिलेंगे इन सवालों के जबाव,
राहें तलाश रही थी वो लड़की.. जहां उसको उम्मीद थी,
उसके सवालों के जबाव उसे अवश्य मिलेंगे,
वो जगह थी...
सैकड़ों वृद्ध मातापिता का निवास स्थान.. वृद्धाश्रम..
सब देख हैरान थे ये छोटी सी बच्ची कौन है।सब इधर उधर एक दूसरे की ओर तांक ही रहे थे।

और अचानक वो लड़की बोली... मेरा नाम नायरा है और मैं अपने घर से भागकर आपके पास रहने आयी हूं..सब उसकी तरफ चकित और प्यार भरी नजरों से देख रहे थे और मुस्कुराते हुए बोले बेटा नायरा यहां आओ। क्या हुआ तुम अपना घर छोड़ यहां क्यों आयी हो ?और यहां का पता तुम्हें किसने बताया। वो सहमी सी बच्ची बोली यहां मेरी दादी रहा करती थी और आज मुझे उनकी याद आई तो उनसे मिलने यहां आई हूं। क्या दादी ? क्या नाम था उनका बेटा - मुझे बताओ मैं बुलाती हूं उन्हें। वो चुप थी उसकी आंखों में आसूं थे और वहीं बैठ सिसक सिसक कर रोने लग गयी।

तब सब ने कहा कोई इसे जानता है कौन है इसकी दादी? बेटा कुछ तो बताओ। तब एक वृद्ध व्यक्ति ने उसे गोदी में उठाया और कहा बेटा नायरा तुम तो अच्छी बच्ची हो न चलो मुझे बताओ यहां कौन है आपकी दादी। नायरा ने नज़रें उठाई और कहां यहां सब मेरे दादा और दादी है..है न तो फिर किसी एक की ओर इशारा क्यो करूं?

थी तो 15 साल की वो बच्ची पर उसके जबाव ने सबको मौन कर दिया।

सबने कहा हां हम सब आपके दादा और दादी है अच्छा अंदर तो आओ गुड़िया। हां आती हूं दादी वो हंसकर बोली पर सबके मन में एक सवाल था कि यह बच्ची कौन है और कहां से आई है।

उसी समय नायरा ने कहा आप सभी यहां क्यों रहते हो आपके बच्चे कहां है उन्होंने आपको यहां क्यों रहने दिया आप सभी साथ नहीं रहते क्या... बच्ची के सवाल मन ही मन कचोट रहे थे पर किसी ने इसका जबाव नहीं दिया क्योंकि सब चकित थे। छोटी सी बच्ची और इतने सारे सवाल...

तब वहां दूर बैठी दादी ने कहा....इधर आ नायरा बेटा तू तो बहुत सयानी है इतनी सी है और इतने सारे सवाल।

अच्छा सुन बेटा मैं बताती हूं यह हमारा घर है जहां हम सभी अपने दुख सुख आपस में बांटते हैं और यही रह अपना जीवन व्यतीत करते हैं। लेकिन बेटा तेरे मम्मी पापा तुझे ढूंढ रहे होंगे जा बेटा अपने घर जा और सुन हमसे मिलने आते रहना।

नहीं मैं नहीं जाऊंगी मैं यही आपके साथ रहूंगी नायरा ने गुस्से में कहा। सब चुपचाप उस बच्चे की मासूमियत भरी अदाकारी को देख मुस्कुरा रहे थे। पर सबके मन में सवाल उठ रहे थे कि कोई तो इसके मम्मी पापा को बताओ ये बच्ची यहां है वो परेशान हो रहे होंगे। तब उसने सबकी तरफ देख कहा.. नहीं कोई परेशान नहीं होगा क्योंकि सब यही चाहते हैं।मतलब बेटा.... कुछ नहीं।

आप मुझे कहानी सुनाओ मुझे नींद आ रही है यह कह वो लेट गयी और कहा...मेरी दादी मुझसे बहुत प्यार करती थी पर मेरे मम्मी पापा उन्हें बहुत डांटते थे उनसे बात भी नहीं करते थे और एक दिन उन्हें घर से निकाल दिया और मैं चुपके से उनके पीछे पीछे यहां तक आई थी और रोजाना उनको देखने आती थी।पर एक दिन पापा को पता चल गया और उन्होंने मुझे बहुत डांटा और बोले अब वो हमारी कुछ नहीं लगती।और मैं चुपचाप उनकी बात को सुन रही थी और फिर मैं भी मन ही मन सोचती मैं भी ऐसा ही करूंगी फिर सोचती मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं वो मेरे मातापिता है। पर पापा ने ऐसा क्यों किया? इन सवालों के जबाव ढूंढने निकली हूं मैं। पापा से पूछा तो पापा ने गुस्से भरी नजरों से देखा और अंदर जाने को कहा। फिर मुझे ध्यान आया कि दादी के साथ आप सब भी रहते हो तो आप लोगों से पूछ लूंगी पर पापा ने आने से मना कर दिया और एक दिन मुझे पता चला मेरी दादी नहीं रही रोते हुए उसने कहा। तबसे मैं उन्हें ढूंढने आती हूं शायद वो मुझसे छुप रही है और आपको देख मुझे लगा आप मेरी दादी हो।

मेरी दादी....कहां हो आप मुझे पता है सब झूठ बोलते हैं। आप मुझसे नाराज़ हो न इसलिए ऐसा कह रहे हैं सब। दादी....और जोर जोर से रोने लगी सब की आंखें नम थीं और सब मौन उसकी बातों को सुन रहे थे अचानक उसने कहा मैं भी पापा को बताना चाहती हूं अगर हम भी आपकी तरह आपको अकेला छोड़ दें तो आपको कैसा लगेगा। इसलिए मैं यहां चली आयी। क्या मैने सही किया....बताईए न। तब वृद्ध मातापिता ने कहा नहीं मेरी लाडो यह ग़लत बात है आप अभी छोटी हो और कोई बेटा ऐसा नहीं होता बस कुछ उनकी मजबूरी होगी और सब चुप हो गए।

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