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बिखरे बालों वाली हाथों में कलम लिए,
आंखों में उसके आंसू थे,
क्योंकि बिखर गए उसके सारे सपने थे,
आसमां की बुलंदियों को छूना चाहती थी,
पर अब,
हजारों सपने लिए आंखों में, वो बैठी थी,
एक आशा में एक अभिलाषा में,
साथ कोई उसके नहीं बस बेवश वो लाचारी,
उस घड़ी के इंतजार में,
कोई तो मुझसे पूछेगा क्यों बैठी है ऐसे तू,
पर जमाने को कहां फुर्सत इतनी,
वो तो अपनी ही धुन में मस्त हैं,
उसके सपनों का गला घोंट खुश थी दुनिया,
पर नहीं था एहसास उनको,
उसका उत्साह बेशक कम हुआ पर हौसला बुलंद हैं,
बेशक साथ उसके कोई नहीं पर ऊपर बैठा वो रब है,
माना शुरूआत थोड़ी मुश्किल होगी,
पर जब उम्मीद कायम है,
तो भला क्यों वो पीछे रहेगी,
डटकर सामना कर मुश्किलों का,
अपनी कहानी खुद लिखेगी....,
जब मेहनत और परिश्रम की लकीरें हो,
तो बदल दे वो किस्मत की लकीरों को,
बदल दे समाज के खोखले कानूनों को,
झुका सकता उसके अरमानों को,
पर नहीं ताकत बुझा दे उसकी हिम्मत को,
पत्थर सी कठोर उसका दृढ़संकल्प है,
जिसे मिटा न सकता कोई इंसान हैं,
बेशक साथ नहीं उसके कोई पर खुद की ढाल वो खुद है,
आंखों में लिए जो अरमान वो कोने में बैठी थी,
आज सैकड़ों लोगों की बन आवाज निखरी है,
उसकी बातों में वो मनमोहिनी शक्ति है,
जिसकी यशगाथा गा रहा पूरा संसार है,
बेशक साथ नहीं उसके कोई था,
पर उसका निश्चय इतना दृढ़ था,
जिसके आगे नतमस्तक स्वयं ईश्वर था,
बेशक अकेली थी पर वो कहां किसी से कम थी,
उम्मीद का दिया लिए साहस का दामन पकड़े,
उसकी अदम्य शक्ति का वो तेज प्रकाश,
आज बन सैकड़ों लोगो की वो प्रेरणा,
जगमगा रही पूरे विश्व में है।

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