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स्त्री की सहनशक्ति
उसकी कमजोरी नहीं...
बल्कि उसको बचपन में दिए
वो संस्कार हैं,
जो उसे मर्यादा में रहना सिखाते हैं,
लेकिन वक्त के साथ...
बदलने होंगे वो नियम...
और देनी होगी
शुरू से हर लड़की को शिक्षा..
कि
जब-जब तुम पर अन्याय होगा..
तब तब तुम सहन नहीं,
वार करोगी,
आवाज बुलंद कर...
हिम्मत और साहस के साथ डटकर लडोगी..
समझाना होगा हर लड़की को..
वो जानें कि
हर ओर भेड़िए निगाहें डाले बैठे हैं,
कब तक दूसरों से गुहार करोगी?
तुम्हें खुद की रक्षा स्वयं करनी होगी...
और
जब जब तुम पर कोई बुरी नजर डालें..
शर्म से निगाहें झुकाए खड़ी नहीं रहोगी,
वरन् आंखों में आंखें डालकर उसका सामना करोगी..
जब तक तुम साहस नहीं दिखाओगी...
तब तक यह अन्याय बंद नहीं होगा...
हर लड़की को इस कदर मजबूत बनना होगा...
कि कोई भी उनको
अबला नारी समझने की भूल न करें,
क्योंकि वक्त और हालात बदल गए हैं
तो पुरानी दकियानूसी सोच को भी
बदलना होगा...
जो बातें माता-पिता कहने से हिचकते हैं...
उन्हें अपनी हिचक खोल...
अपनी बेटियों को
सशक्त और प्रबल बनाना होगा,
घोर सच से अवगत करा...
उन्हें सहन करना नहीं वरन्...
गलत के खिलाफ आवाज उठाना सिखाना होगा...

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