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प्रेम की परिभाषा
बंधन नहीं प्यारा एहसास है,
जन्म जन्म का साथ है,
पवित्र डोर से बंधी विश्वास की डोर है,
जिसने दो दिलों से दो परिवारों को बांधा है,
यह बंधन नहीं प्यारा एहसास है,
जब पहन अंगूठी पिया की,
लड़की की होती मंगनी,
जुड़ जाता जब से ये संगम है,
बंधते जब गठबंधन में दोनों,
बन जाते जन्म जन्म के साथी,
हर सुख दुख हर रीत के साथी,
बन एक दूजे के निभाते हर कर्तव्य,
क्योंकि बंधन नहीं ये प्यारा एहसास है,

लेकिन वर्तमान समय में प्रेम की परिभाषा
दिल टूटा रिश्ता छूटा,
विश्वास की नींव थी अधूरी,
आकर्षण को प्रेम समझ,
बांध लिया बंधन,
और वक्त के साथ छूट गया संबंध,
क्योंकि प्रेम की परिभाषा वही,
जहां सच्चाई और ईमानदारी हो,
और हो भरपूर विश्वास,
तभी तो कहलाता ये पवित्र बंधन,
और जन्म जन्मों का संगम।

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