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शादी सिर्फ माथे पे बिंदी लगाना,
और मंगलसूत्र का एक धागा नहीं होती,
शादी अर्थात सात जन्मों का साथ,
शादी अर्थात पवित्र बंधन,
शादी अर्थात दो परिवारों का मिलन,
दो दिलों का आत्मा से संगम है,
आज शादी और कल तलाक,
यह सिर्फ फिल्मों की कहानी है,
शादी कोई जबरदस्ती का बंधन नहीं,
प्यार विश्वास और भरोसे की नींव है,
स्त्री का गहना नहीं होता मांग का सिंदूर,
उसके पति की लम्बी आयु का प्रतीक है,
उसकी शोभा नहीं माथे की बिंदिया,
बल्कि उसके सुहाग का प्रतीक होती है,
बेशक फिल्मों में शादी का कोई मोल नहीं होता,
पर असलियत में इससे पवित्र कोई रिश्ता नहीं होता।