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अक्सर कुछ बातें जुंबा पर ठहर जाती है,
शायद हम कुछ कहना चाहते पर कह नहीं पाते,
और अक्सर कुछ बातें अधूरी रह जाती है,
जो बातें अधूरी थी वो बातें कब पूरी कहेंगे,
इस आस में कुछ बातें जुंबा पर तो आती है,
पर लब्जो से नहीं हो पाती बयां,
और अक्सर समय की प्रतिक्षा में अधूरी ही रह जाती है,
समय कब तक साथ देगा कभी होगा कभी नहीं,
इसलिए जो कहना हे कह दो,
क्या पता समय की प्रतिक्षा करते करते रह गये,
और बिन बात कहे दुनिया से चले गए,
कहना है तुमसे चाहते हैं तुमको हम,
पर कैसे कहूं इस सोच में रह गये हम,
और लबों पर आती आती वो बात,
जुंबा पर ही ठहर गई,
और कुछ बातें अधूरी सी रह गई।

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