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आग़ाज़ की जरुरत है , तो कही आवाज़ की जरूरत है ,
बिखरते हुए हिंदुस्तान को अब एक नए भगत सिंह की जरूरत है।

मेला बढ़ रहा बेईमानो का , गरीबो और किसानो के घर बस शोर है ,
इशारों पे नाचता हुआ सविधान , मीडिया जैसे बारिश में नाचता मोर है।

है दशा बहुत विकत लगता है जैसे स्वराज संपूर्ण भारत का अंत निकट ,
घर -घर जाके मांगे वोट , शराब से काम न चले तो बटवा दिया गरीबो में नोट।

इज़्ज़त लूटी तो समाचार में आया , हिजरो का काफिला नाउम्मीद मोमबत्ती ले आया ,
भीड़ जमा करके इन्साफ मांगने हर बार की तरह , कितनी बार बताओ ऐसा करके हमने क्या पाया ?
बंध बैठे है अपने जिम्मेदारिओं के ज़ंजीर में ,भीक मांगे हर कोई जाके मंदिर में ,
मोड़ दिया मुँह उस रास्ते जहा होते है जुर्म , हो रहे बलात्कार और शोषण न देखे कोई उम्र।

हिन्दू -मुस्लमान का आसमान और लहू एक , फिर भी लड़े अपने में और करे खोखले अपने देश ,
जलती बेईमानी से बस्ती और जान हो गयी सस्ती ,मिट रही अब धीरे -धीरे शहीदों की हस्ती।

पांडव हो रहे कम बढ़ रहे आगे दुर्योधन ,घर -घर पा रहे शकुनि-कंस आशीष ,
हो रहा आंतक और बढ़ रहा अत्याचार , आग लग रही और हर जगह फेल रह बेईमानी का विष।

बेरोज़गारी का ध्यान नहीं सोशल मीडिया से चैन नहीं ,मीडिया के पास trp के अलावा कुछ काम नहीं,
चिंता अपने परिवार की परवाह नहीं देश की ,पैसे की कमाई और न परवाह किसी और की।

पुजारी बने बलात्कारी अब कौन प्रसाद अर्पण करे ,मौजूदा हालात में कोई कैसे अपना सुरक्षित जीवन यापन करे ,
मदिरा -मांस और हवस का आंधी चले ,ऐसी हालत में कौन -कैसे बच -बच के चले।

इन्साफ सबूत नहीं पैसे मांगे है ,बीके हुए नशे में चूर गवाह मांगे है ,
माँ-बाप के आँशु कोई नहीं पोछे है ,मरी हुए बेटी के इज़्ज़त का तमाशा देखे है।

अन्नदाता वह है ,भारत देश का किसान है वह , देश में भुकमरी कम करने वाला भगवान है वह ,
सोशल -मीडिया पर सपोर्ट मांगने वाला बेरोज़गार नहीं है वह , फाँसी लगाने वाला किसान आखिर क्यों
मजबूर है वह।

अख़बारों में अब खबर नहीं मौत छापी जा रही है ,हर तरह की मजबूरी दिखाई जा रही है ,
लहू में जोश नहीं नशा दौड़ रहा है , नोजवानो का हालत बर्बादी की और बढ़ रहा है।

आपस में हो रही सियासत की जंग ,विचारो में न कोई समझ और न कोई ढंग ,
मुद्दों से हट के रंगीन खबरों में नज़र , अनजान हिंदुस्तान की पतन से सब बेखबर।

जिस्म बेचे जा रहे और सौदा किया जा रहे , बड़ा बनने के लिए हर कीमत चुकाने पड़े, जो आवाज़ उठाये इनके खिलाफ , उनकी लाश कल अख़बारों के खबरों में मिले।

अब हमे आवाज़ उठाना होगा , हर-हर महादेव का हुंकार लगा के जंग लड़ना होगा ,
देश को सुरक्षित करना होगा , जागरूक बन अब अपनी सरकार अच्छा चुनना होगा।

शिक्षा देना होगा नोजवानो को संस्कृति और सभय्ता का ,शीश झुखा के आधार सम्मान सिखाना होगा ,
सब भूल के उनको अपने साथ अपने जीवन में अपनाना होगा , हा नारीओ को
कंधे-से -कंधे मिलाना
स्वीकार करना होगा।

सवाल पूछना होगा ,इन्साफ तुरंत मांगना होगा , हर जुर्म पे आवाज़ और हथयार उठाना होगा ,
निश्चय कर अशंभव को संभव करना होगा , सोने के चिड़िया को अब हिरे का बनाना होगा।

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