शिवाजी

है निमंत्रण काल का , स्वयं शिव अवतार राजे छत्रपति शिवजी महाराज का ,ना जाने जीते कितने दुर्ग और कितने रण , शौर्य और शास्त्र का अदुभुत मिश्रण ,
जीजाबाई का तैयार एक अपराजय तलवार सा , 
एक वार से हुंकार करता वह जोहर शिवाजी का ,
है हिंदुत्व का शान वह , केसरिया रंग का रखता लाज वह , एक बाघ नख से चिर देता सीना वह,
है जन्म डाटा वह युद्ध नीति और समुन्द्र सेना का , एक बाग नग से अंत किया अफजल का,
मुगलों का वो काल वो , केसरिया का वीर लाल वो।

महाराणा प्रताप

है राणा वो मेवाड़ का , हुंकार करे जैसा कोई घायल सिंह सा,
दो तलवार दो भाला सवारी करे वो अपने साथी चेतक का,
रणभूमि में जी काल आवे, मुगलों के सांस उखड़ जावे,
बहलोल खान संग घोड़ा दो टुकड़े काट जलवा दिखलावे ,
सुन यह खबर अकबर सुंग मुग़ल दरबार थर -थर कांपे ,
घास की रोटी खा के भी जो हर युद्ध जीते ,
चेतक जिसकी सवारी खुद जाये तो बड़ा नाला ,
आज भी हर युवक राणा राणा का गान गावे।

पृथ्वीराज चौहान

जय हो जयकारा दिग्गज सम्राट पृथ्वीराज का ,
हाथ से चीर डाले बाघ का जब बालक होवे छोटा सा ,
राजपुताना का सम्मान और हिंदुस्तान का मान वह ,
मात्र १३ के उम्र पे जीत लिया जिसने गुजरात को ,
प्राणदान दियो और तोड़ डालो अभिमान गौरी को ,
अंध कर दियो जब आँखों को , सुन सके बस आवाज़ बस म्हारे चौहान ,
बस आवाज़ सुन और कविता सुन आपन पंडित चंदरबरदाई को ,
उठाया धनुष क्या मारा बाण , शब्दभेदी बाण से मार डाला गौरी को ,
यह इतिहास न भूले अब , जय हो चौहान हिंदुस्तान का सपूत वह।

मणिकर्णिका
(रानी लक्ष्मी बाई, झाँसी की रानी )

है लालनपालन जिसका युद्ध प्रशिक्षण से ,
शास्त्र और शास्त्र की महान ज्ञानी वह ,
जब आग लगी १८५७ की मंगल पांडेय के मशाल से ,
तब रानी ने बाँधा कफ़न सर काटने हर अंग्रेज़ का ,
हुआ वह युद्ध भीषण , बरसे कही आग तो कही अँगारे ,
पीठ पे बंधा मासूम फिर भी हर सीना अंग्रेज़ो का चीरे ,
हर युग की औरतों इनको अपना प्रेरणा मानें।

क्रान्तिकारी

जब माँ का सीना भारी हुआ ,
अंग्रेज़ो का सब आगमन हुआ ,
देख के कंधे झुके युवाओ का खून उबला ,
तब जाके भगत सिंह और आज़ाद का उदय हुआ ,
न माना उन्हें अहिंसा माना रास्ता सही है हिंसा ,
रंग दे बसंती गा के सूली चढ़े साथ में सुखदेव और राजगुरु ,
बाहर खड़ी मां बोल रही मत जा मेरे लाल छोड़ के मुझे,
नमन है आपको जिसने दुल्हन आजादी माना,
छोड़ के सब बस एक लक्ष्य आजाद हिंदुस्तान चाहा।
अंतिम गोली जो बची था ना कोई उपाय,
मार दी अपने कनपटी पे गोली क्योंकि आजाद रहेगा हमेशा आजाद।

सेना के जवान।

जो तुम सोते वो सीमा पे जागते,
जिसे तुम ठंड कहते उसे वो चादर कहते,
जो तुम ज़ख्म से रोते वो ज़ख्म से और जोश रखते,
ना उन्हें चिंता परिवार का बस चिंता हिंदुस्तान का,
एक गर्जन में कितने हमने वीर खोए,
कारगिल जैसे युद्ध को भी जीत गए।
और अंत में
जो खोए है हम शहीद उनका हमेशा सम्मान रखो,
ना कुछ कर सको पर दिल में हमेशा हिंदुस्तान रखो।

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