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है प्रजलीत कैसी आग,
ना दिन ना रात,
लक्ष्य है एक सांस,
नमन करने लायक प्रयास।

बंधन मुक्त तेरा जीवन,
ब्रह्मचारी तेरा जीवन यापन,
चंचल मन पे लगाम,
जीवा जैसे अमृत का ज्ञान।

सुलग उठी है तेरी अभिलाषा,
कामयाब होना अब तेरी भाषा ,
सब रखते तुमसे आशा,
लक्ष्य भेद बदल दे दुनिया।

लथपत होगा तेरा अभिमान,
गिर सकते है तेरा स्वाभिमान,
भटकने को तुझे खड़े हर ऐशिआराम,
एक पथ एक निश्चय और यही है एक ज्ञान।

पूछने आयेगे और तुम्हे भटकाएंगे,
चापलूसी कर ना जाने कितने बातें करेंगे,
मदिरा और नशा का पाठ सिखलाएंगे,
पर विचलित न होना ऐसा इच्छाशक्ति दिखाएंगे।

पुष्प की सुंदरता उसके खाद से है,
तेरे सुंदरता तेरे पावन कर्मो से है,
अध्यन तेरी तलवार की धार सी है,
काटने को तैयार अब लक्ष्य की दूरी है।

अपमान तेरा अपनो ने खूब किया,
ना जाने किन - किन शब्दों से अवेलना किया,
तब वो जो ज्वाला जली थी उसको मशाल में लगा,
अंधेरे रास्ते जो जाता लक्ष्य को उसपे रोशनी दिखा।

अब तुझे रोकना जैसे तलवार पे हाथ लगाना ,
रक्त तेरा लाल और लक्ष्य पाने को विचलित
तैयारी के दिन अब अंत को आते है,
मेहनत देख तेरी देवतागण भी पुष्प बरसाते है।

अब सिर्फ जंग होगा और नाम होगा,
कायर जैसा घर बैठना अब बंद होगा,
हुंकार मेरी मेहनत से अब रंग लाई है,
अब लक्ष्य पाने को बेला आई है।

है चट्टान सा ताक़त,
ज्ञान जैसे अंतहीन समुंदर,
जलती मोमबत्ती से आंखें बोझिल ,
अब मुझे करना है लक्ष्य हासिल।

लोगो के कितने जहर,
रात ,दिन और पहर,
तू मेहनत का सिकंदर,
करेगा जग तेरा आदर।

स्वराज की आवाज उस वीर ने लगाया था,
औरंगजेब जैसे लड़ाकू को भी पानी पिलाया था,
जिसने शुरुवात की भारतीय नौसेना की
वीर छत्रपति शिवाजी इतिहास से कहलवाया था।

चेतक की सवारी करता वो ऊंचे कद -काठी वीर,
कितने किलो का हथियार ताने अपने सीने पे चलता था वो,
मुगल अकबर भी घबराता था जिससे मेहनत जो वीर की थी,
लक्ष्य था महान योद्धा बन जाने का वो महाराणा प्रताप था।

लक्ष्य जिसका आजादी था,
दुश्मन उसका गुलामी था,
मेरा रंग दे बसन्ती चोला जिसने गाया था,
क्रांतिवीर वह नौजवान भगत सिंह कहलाया था।

एक महान पुरुष था,
जिसका नाम मे विवेक था,
बुद्धि और ज्ञान का धनी था,
संपूर्ण भारत का वह गर्व था,
७०० पन्नों को यूं याद कर लेता था,
हाजिरजवाबी मे भी आगे वह महान पुरुष स्वामी विवेकानंद था।

था वह भी भटका,
जब झूठ बोला तो घर वालो को लगा झटका,
उसने कसम खाई ना झूठ बोलने की,
संपूर्ण ज़िन्दगी सत्य बोलने की ज़िम्मेदारी की,
देख दशा अपने भारत मा की दशा,
अहिंसा को अपनाया था,
आजाद करना भारत को अपना लक्ष्य बनाया था।

अब आ गया नया जमाना,
एपीजे अब्दुल कलाम को भूल मत जाना ,
मछुवारे का बेटा था पर सीना तान के मेहनत करता था,
अग्निपुरुश था वह कभी बच्चो का प्रिय राष्ट्रपति था ,
मेहनत करके लक्ष्य पाना सिखाया था।

ना जाने कितने गुणों से भरा पड़ा है अपना देश,
फिर भी क्यूं खोजे हम परदेश,
अपनी संस्कृति ,अपना भेष और अपना स्वदेश,
मेहनत कर ,लक्ष्य पा का बना अपना महान देश।

मे हूं नहीं कोई कपास का फूल जो दिशाहीन उड़ जायेगा
माना मेरा स्वाभिमान है चिता पे, इसका यह मतलब नहीं कि मे जल ही जाऊंगा,
है मेरी किस्मत थोड़ी सोई हुई, इसका मतलब मे तो नहीं सो जाऊंगा,
खुदा भी अगर जवाब ना दे , तो मे खुद खुदा को खोज लाऊंगा,
मन मे एक दृद संकल्प कर जाऊंगा , बढ़े चलो गान गाके एक शिखर पा जाऊंगा ।

तू बहुत आगे था जब तू अफसर बनना चाहता था , अपने यारो के बीच बैठ के ऑफिसर बन के बड़े बड़े काम करने की वादा करता था,
अब लगता है पैसों कि थोड़ी सर्दी है ,यह बता किस बात की तेरी वर्दी है,
नाकाम रहा तू और नाकाबिल ही सही, तेरे आगे झुका एक बूढ़े नागरिक का सर ,यह है दहेज का असर,
तू मिट्टी का है मेरी बात मान ले, जवानी याद कर उसको फिर से अपने अंदर डाल ले,
बढ़े चलो का गाना गा के एक शिखर को पा ले , पा ले।

बलात्कार हुआ तो टूट गई, वैवाहिक शौषण से सहम गई,
ऐसा क्या हुआ जो चुप हो गई, रानी लक्ष्मीबाई और दुर्गावती जैसे वीरों के बारे मे क्यूं भूल गई,
तू जिससे पैदा होता उसको मां कहता है , जो साथ पैदा हुआ उसको बहन, जब सच जान के बी तू ए मर्द क्यूं करता है जुर्म,
नारियों तुम्हे अब जुर्म के खिलाफ लड़ना होगा, ललकार के साथ तलवार उठाना पड़ेगा,
असम्भव है माना अंधेरे से बाहर निकलना , पर किसी को तो मशाल उजाले के लिए जलाना होगा।
बढ़े चलो का गाना अब हर वक्त दोहराना होगा।

बेफिक्र क्यूं रहते हो ,अपने मे क्यों खोए रहते हो,
इतने भटक जाते ही, खून पूरा नशे से सफेद कर जाते हो,
आजादी दुल्हन मान जिसने फांसी लगाई थी वह याद है ना ,
भगत सिंह जैसे विचार याद करते हो ना ।

नौजवान देश का भविष्य है, प्यार तो एक भाग चरित्र है,
सब चीजें आपकी है आपके साथ है ,
थोड़ा सोशल मीडिया से हट के मेहनत तो करो,
बढ़े चलो का गाना गाया करो।

क्यूं भेदभाव है जाट पात का ,क्यूं खोजे तू कौन काला कौन गोरा,
स्वदेशी का ज्ञान से तू अधूरा, विदेशी पे इतना गुमान क्यूं तेरा ,
भाषा सीखो सारी पर अपनाम ना करो, हिंदी भाषी बनो और गर्व करो,
अपने देश में विकास करो, दूसरे के लिए रोजगार उत्पान करो,
बढ़े चलो का गाना गाया करो।

अन्न को फेका ना करो, किसानों को यूं बदनाम ना करो,
तू जो बारिश मांगता है ना ,उसी बारिश मे कोई काम करता है,
हर चीज़ तुझसे जुड़ी है, भगवान को पूजते है फिर अन्नदाता से नफ़रत क्यूं है,
हल उठाओ तो मालूम पड़े, ना हो सके तो साथ मे खड़े रहो,
बढ़े चलो का राग फैलाते रहो ।

खबरों से ना भटको ,सच्चाई की खोज करो,
सियासत की जंग में , एक सच्चे सरकार को चुने,
किसानों का सम्मान करो, एक भाईचारे का मिसाल बनो,
हिंदुस्तान जो सोने को चिड़िया रही ,अब उसे हीरे की खदान बनाओ
बढ़े चलो गा के एक नया जोश बढ़ो।

आज मे जय बोलूंगा
आज समुंदर की गहराई नापुंगा,
अपने हृदय से आज जय बोलूंगा
सीमा पे खड़े जवानों को प्रणाम करूंगा
कुर्बान हुए क्रांतिकारियों को आज याद करूंगा,
आज दिया जला के नम:आंखों से आज मे जय बोलूंगा।

वो जवान था पर दिशा उसकी आजादी थी,
खून खोलता था और उसकी दुल्हन आजादी थी,
आग और प्रतापी उसका आगमन था,
हमारे भारत का क्रांतिकारी वो वीर भगत सिंह था,
आज मे उनको याद करूंगा,
नौजवानों के साथ मिलकर उनकी आज मे जय बोलूंगा।

विचलित हुई जब उसकी मर्ज़ी के बिना शादी हुई,
लहू खोला जब अपने पति को डरते देखी,
गर्जना की एक सिंही के भांति जब सर झुकाने कहा गया,
संग अपने बेटे को लेके क्या रणभूमि मे जोहर दिखलाया,
एक उदाहरण बन के रानी लक्ष्मीबाई ने क्या रास्ता दिखलाया,
आज एक औरत की वीरता की कहानी सभी मां - बहनों को सुनाऊंगा,
आज उनके साथ मिलकर एक साथ मे आज मे जय बोलूंगा।

जो था एक वीर मराठा, स्वराज का लेके जो थामे झंडा,
वीर शिवाजी उनका नाम ,ना जाने कितने मराठा हुए थे कुर्बान,
कितने कुर्बान को गले से लगाया ,हृदय आहत होके भी लड़ना नहीं छोड़ा,
वह नाम वीर शिवाजी कहलाया , हर जगह बस उनका नाम जगमाया ,
आज उनकी तलवार की दर्शन करूंगा,
आधुनिक भारत को उनके रणरीति से अवगत होगी,
आज संग मिलके आज उनकी जय जय होगी।

है जिसने डंडे का इस्तेमाल नहीं किया, अहिंसा को हथियार बनाया ,
हरताल से इंट से इंट बजा दी, उस आंधी को महात्मा गांधी कहते है
राष्ट्रीय पिता का पद उन्हे शोभित है, आजादी दिलाने के क्या मार्गदर्शक है,
सच्चाई की रास्ते पे चले तो छाले हुए, पर आजादी दिला के वह सबके प्यारे हुए,
आज अहिंसा का पाठ सबको सिखाऊंगा,
आज मे खाखी के कपड़ो में जय बोलूंगा।

आधुनिक आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री की जय बोलूंगा ,
एपीजे अब्दुल कलाम कि जय बोलूंगा ,
हमारे शहीद वीर जवानो की जय बोलूंगा ,
कारगिल के युद्ध और उरी के नायको को जय बोलूंगा ,
मोदी जी की निडरता को प्रणाम करूँगा ',
आज प्रगति में बढ़ते हुए हिंदुस्तान को जय बोलूंगा ,
राष्ट्र गान गाके आज में गौरवर्णित महसूस करूँगा।

और अंत में''
एक दिशा हिमालय है , तो एक दिशा बहती गंगा है ,
कहानी हर मिटटी में है हर राष्ट्र में है ,
खेतो में फसल सोना है , नोजवानो के खून में जोश है ,
सब से प्यारा और जगमाता यह नया हिंदुस्तान है' 

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