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मे निश्चित हूं, मे नश्वर हूं, मे अशंभव से शंभव का सफर हूं,
मे एक थकान हुं, मे एक जीवन हूं , मे बुढ़ापा हूं , मे ही मौत हूं,
मे ए इंसान तेरा भूतकाल , वर्तमान और भविष्य हूं,
मे अमर , अजय और सब का पालक, मै समय हूं ।

सब देखा है मेने, कभी आंसू तो कभी लहू तो कब छल कपट,
टूटे दिल की दस्तक, तो कभी प्रलय तो कभी समस्या विकट,
वीरों का स्वागत तो कभी बलिदान पर गर्व, मा के सुर्ख आंसू ,एक नए जोड़े की विधवा बन जाने
की छतपहाहट है,
है मुश्किल मेरी लिए सब देखना, अमरता का वरदान होके भी निर्जीव सा सब देखना है।

कभी रामायण का गाथा देखा तो कभी महाभारत,
 पुरषोत्तम देखा तो कभी मा सीता का बलिदान,
कृष्ण का लीला देखा , भाईयो को।लड़ते हुए महाभारत देखा।

मेने देखा सतयुग , द्वापरयुग,त्रेतायुग और अब अंत को देख रहा जिसे कहते है कलयुग।

मेने एक वीर की तलवार देखी, मुझ बलवान समय को चीरता देखा,
कहते है वक्त नहीं है , मेने वीरों को मुझेसे भी तेज़ देखा।

मेने अहंकार टूटते देखा , मृत्यु को प्राप्त होता एक मायावी रावण को एक साधारण मन्युष के
हाथो मरते देखा,
एक चीरहरण भी देखा, विवश प्रजा मे देवकीनंदन कृष्ण को एक लाज बचाते देखा।

पृथ्वीराज का तलवार देखा , राणा प्रताप को तलवार का वार देखा,
मुग़ल शासन देखा , अकबर जैसा महान और बीरबल जैसा विधुसक देखा।

विक्रमादित्य देखा और बाल बुद्धि और विधूसक तेनाली देखा, महादानी राजा भोज देखा , स्वर्ग
ले जाती एक महान सिंहासन देखा।

महान पंडित चाणक्य देखा , आर्यभट्ट का आविष्कार देखा,
हर चीज़ मे आगे मेने भारत देश देखा, संस्कृत भाषा देखा और ज्ञान का भंडार वेद देखा।

ग़ुलाम हुए एक भारत देश देखा, अपने लोगो को गद्दारी करते देखा,
अंग्रेजो को जुर्म देखा, हंसते हुए फांसी लगाते भगत सिंह देखा।

एक छोटे कद का इंसान देखा, अहिंसा का ज्ञान बांटते पाया,
खादी कपड़ों में घूमता पाया, जी आजादी दिलाने वाला एक बापू पाया।

आजादी मे शहीदों को बलिदान देखा, आजाद देश मे उनका स्मारक बनते देखा,
अब नए भारत में जो देखा, वह शायद कलयुग का आरंभ देखा।

जो नीव रखी थी लहू बहा के नौजवानों के फौज ने , नशे मे झूम रही और नमकीन होता
आजकल नौजवानों में ,
है कभी निंदा किसी के गुलामी पे,अब स्वीकार रहा सोशल मीडिया का ज़ंजीरों को।

अब देखो ना तमाशा सियासत का , हिन्दू मुस्लिम के दंगो का ललकार देखा,
किसानों को मरते देखा , खालिस्तान बोलके उनको बदनाम करते देखा।

बलात्कार खुले आम देखा , छोटे बच्चो को शिकार बनते देखा,
जा ऋषि मुनि कभी आशीर्वाद देते थे, आज उनको खुद एक अभिशाप बनते देखा ।

लहूलुहान इमानदारी देखी, शराब मे नाचती बेईमानी देखी,
दूर कोई बेटी को शादी मे झुकते देखा, दहेज मे अपना पग्री सम्मान थी आज उसको भी गिरते
देखा,
लोगो को बदलते देखा अपने स्वाभिमान को चिता पे रखते देखा,
सच से झूठ बनते देखा , रिश्तेदारों को भी बुरे समय पे बदलते देखा।

मेहनत से पीछा चुराते देखा, अब तो समय को भी दोष देते देखा ,
मुझे भी अपना एक विभाजन देखा , एक अच्छा तो एक बुरा वक्त बनाया।

कुछ को आगे बढ़ते देखा , महान महान देशभक्त देखा ,
अन्ना हजारे से लेके मोदी तक का सफर देखा,
बेरोज़गारी का मार और इकोनॉमी का गिरावट देखा,
नवयुक को जाना देते देखा, बुढ़ापे मे मजबूर मां बाप देखा।

कपास का फूल जैसा ज़िन्दगी देखा, एक दिशाहीन नदी जैसा पथरी से टकराते देखा,
मूर्तियों पर हज़ारों लुटाते देखा, जरूरतमंद को पत्थर मार के भगाते देखा।

है बहुत कठिनाई जब अन्नदाता ही फांसी लगा दे, जो हर मौसम में।बीज बोए उसे है देशद्रोही
करार दे दे,
अब उम्मीद किससे लगाए , जब मीडिया ही सब झूता दिखाए,
मे समय सब देख तो रहा , पर क्यूं अब मे भी आपा खो रहा।

एक देखा मेने अटूट प्रेम ,शिव पार्वती तो कभी राधा कृष्ण,
अब गवाही दे प्यार की बंद कमरे मे चीख,
समय क्या हो गया है ,खुद से खुद सवाल पूछ रहा है,
स्वदेशी का।ज्ञान नहीं है पर विदेशी पे अभिमान है,
काश मे बोल।पता ,इन्हे वापस भारत का इतिहास दिखा पता,
मे समय हूं साथ साथ चल सकता हूं,
बस तुम्हे इतना बटला सकता हूं,
है इतिहास का ज्ञान रखो, गीता का पालन करो,
महाभारत से धर्म सीखो, रामायण से पुर्साथ सीखो,
है नौजवानों मेरी बात मानो समय का सदुपयोग करो,
कंधे से कंधे मिलाकर नए भारत का निर्माण करो।

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