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अनपढ़ को अक्षर का ज्ञान कराती,
पढ़े-लिखे का ज्ञानवर्धन कराती।
खोए इतिहास को संजोए रखती,
भविष्य निर्माण का मार्ग प्रशस्त कराती।।

पुस्तकें भावो को शब्द देती,
शब्दों की एक दुनिया बनाती।
पाखंड-आडंबर पर प्रहार करती,
जीने की सही राह दिखाती।।

भाषा के मानक को स्थापित करती,
जटिल संवाद को सरल बनाती।
पुस्तकें विश्व को एक सूत्र में पिरोती,
अलग अलग भाषा का ज्ञान कराती।।

बेजुबानों-असहायों की दास्तान कहती,
मानुषिक उलझनों को सुलझाती।
शरीर की अंतः रचना को बतलाती,
सजीव-निर्जीव के भेद को समझाती,
जोड़, बाकी, गुणा, भाग सिखलाती,
दशमलव, प्रतिशत, ज्यामिति, त्रिकोणमिति में उलझाती।

पर्यावरण सरंक्षण का संदेश देती,
ब्रह्माण्ड के रहस्य से पर्दा उठाती।
पदार्थ के गुण-अवगुण को कहती,
हर मर्ज़ की दवा बतलाती।

पुस्तकें नई खोज करती,
नित नई तकनीक लेकर आती।
लोकतंत्र को मूर्त रूप देती,
नागरिकों को कर्तव्य बोध कराती।
अपराध की सजा तय करती,
पीड़ितों को न्याय दिलाती।।
मनुष्य जन्म लेता हैं, और एक दिन मृत्यु को पाता हैं,
पुस्तकें लेकिन अनंतकाल तक उसके विचारों को जीवित रखती।

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