नारी तू ही कृष्ण की भक्ति है नारी तू ही शिव की शक्ति है
दुर्गा काली चंडी है दैत्यों की संघारिणी है
गंगा यमुना सरस्वती है जगत की उद्धारिणी है
कभी सौम्य चंचल और कभी निर्मल है
कभी रौद्ररूप की ज्वाला सी तरल है
नदियों का बहता कलरव है गहरा शांत समंदर है
संगीत का मीठा सुर है फूलों की मधुर रागिनी है
जिसने ईश्वर को पूर्ण किया वो शिवशक्ति भवानी है
नारी तू ही कृष्ण की भक्ति है नारी तू ही शिव की शक्ति है
प्रकर्ति की आधार है इस जग की पालनरुपा है
तू ही लक्ष्मी स्वरूपा है घर घर की अन्नपूर्णा है
तू ही ज्ञान की देवी ऋषयों के मन मे छिपी ध्यानी है
श्री कृष्ण के अंतःकरण में विराजमान
राधा नाम की तू ही प्रेम की स्वामिनी है मुक्तिदायनी है
बस एक बार तुझे अपने अंदर की नारी पहचानिनी है
अपने अंदर की शक्ति और भक्ति सबके सामने लानी है क्योंकि…
नारी तू ही कृष्ण की भक्ति है नारी तू ही शिव की शक्ति है
नारी तू ही कृष्ण की भक्ति है नारी तू ही शिव की शक्ति है।

.    .    .

Discus