चल दूर कहीं चलते हैं ऐसी कड़वाहट से
दो पल ज़िन्दगी जी लेते हैं थोड़ी मुस्कुराहट से
पसंद करेंगे जहाँ लोग मुझे मेरी खामियों से
और सबके दिल पिघल जाएंगे मेरी एक मुस्कुराहट से
चल दूर कहीं चलते हैं ऐसी कड़वाहट से ।
जहाँ दिलों में बस सच्चा प्यार होगा
हर पल कोई आपके साथ होगा
अब डर लगता है अकेलेपन की घबराहट से
चल दूर कहीं चलते हैं ऐसी कड़वाहट से।
जहाँ सच्चे दोस्तों का साथ होगा
उनकी दुआओं में अपना भी नाम होगा
अब दिल को बचाना है नई चोट की आहत से
चल दूर कहीं चलते हैं ऐसी कड़वाहट से।
जहाँ हमारे प्यार की कद्र होगी
जहाँ हमारी परवाह की जरूरत होगी
कोई हमारी भी बात समझे आंखों की गहराई से
चल दूर कहीं चलते ऐसी कड़वाहट से।
चल बसाएं एक ऐसा आसिया
जहाँ दिन की शुरुआत हो प्यार की गुदगुदाहट से
और सांझ ढले हंसी की चहचहाहट से
क्योंकि ऊब गयी हूँ मैं अब रिश्तों के दिखावे से
चल दूर कहीं चलते हैं ऐसी कड़वाहट से।