हर औरत खुद में बहुत खूबसूरत होती है
बस उसे खुद को जानने की ज़रूरत होती है
जो उसे देखती है वो तन की आँखे होती है
मन के अंदर जो झाँक ही नही पाती है
वो खूबसूरती धीरे धीरे कहीं खो सी जाती है
उसी आवेश में आकर वो गलत कदम उठाती है
फिर बहुमूल्य जीवन का भी मोल लगा बैठती है
उसे हर बार ये बात क्यों साबित करनी पड़ती है
कि हर औरत ख़ुद में बहुत खूबसूरत होती है
बस उसे ख़ुद को जानने की ज़रूरत होती है
सरलता में ही अद्वितीय सुंदरता होती है
ये सीख माता पिता से बचपन से मिली होती है
लेकिन दुनिया बाहरी आवरण को ही देखती है
और अपना माप दंड तय कर लेती है
इस निर्णय से आहत हो वो यही सोचती है
क्या खूबसूरत दिखना ही ज़िंदगी की ज़रूरत होती है
जबकि हर औरत ख़ुद में बहुत खूबसूरत होती है
बस उसे ख़ुद को जानने की ज़रूरत होती है
क्यूं न हम नज़रों की इस कैद से आज़ाद हो जाये
जो हम है वही इस दुनिया को दिखाये
लोग क्या सोचते हैं ये हमेशा के लिए भूल जाए
अपना खुद का एक नया जहां बसाएं
जहाँ मन की सुंदरता ही बहुमूल्य मानी जाए
और चिल्ला चिल्लाकर दुनिया को ये बताये
कि हर औरत ख़ुद में बहुत खूबसूरत होती है
बस उसे ख़ुद को जानने की ज़रूरत होती है
एक बार हमें अपने लिए क़दम उठाना है
दिखावे की इस नकली दुनिया से बाहर आना है
जो प्राकृतिक सुंदरता है उसे निखारना है
दुनिया दंग रह जाये कुछ ऐसा कर दिखाना है
मन की सुंदरता ही सर्वश्रेष्ठ है सबको बताना है
लोगों की नजर नहीं नज़रिए को बदलवाना है
क्योंकि हर औरत खुद में बहुत खूबसूरत होती है
बस उसे खुद को जानने की ज़रूरत होती है
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