हाँ मैं कर सकती हुँ मैं भी आगे बढ़ सकती हुँ
तो क्या हुआ मैं लड़की हुँ मैं भी ज़िद्द की पक्की हुँ
कौन कहता है कि मेरे हाथ सिर्फ खाना पका सकतें है
ये तो दुनिया की हर रश्म निभा सकते है
हर क़दम पर यही सुनतीं आयी हुँ कि तुमसे ना हो पायेगा
कहने दो उन्हें ,दुनिया का ये कहना कहाँ रुक पायेगा
मत सुनो कुछ भी बस मन में ये दृढ़ संकल्प कर लो
हाँ मैं कर सकती हुँ मैं भी आगे बढ़ सकती हुँ
जो स्वयं ही जन्मदाता है बच्चे की भाग्यविधाता है
वो क्या नही कर सकती है बस समझ की थोड़ी गलती है
जिससे संसार का चक्र गतिमान है वह बहुत ही बलवान है
जिस दिन वह थक कर रुक जाएगी दुनिया ही ठहर जाएगी
अपनी शक्ति को पहचानो अब , सुसुप्ति से तुम जागो अब
एक बार करके तो देखो, एक बार आगे बढ़ कर तो देखो
ऐसा क्या है जो तुमसे न हो पायेगा हर कोई दंग रह जायेगा
हाँ मैं भी कर सकती हुँ मैं भी आगे बढ़ सकती हुँ
कब तक मन को बांधे रखोगी बस यूं ही घबराती रहोगी
क्या सिर्फ औरों को ही जीवन जीना सिखाती रहोगी
ये बात तो हमें श्री कृष्ण ने भगवद गीता में भी पढ़ायी है
कि अपनों से अपनी लड़ाई तो खुद ही लड़नी पड़ती है
रुकना नही डरना नही डर डर कर आगे बढ़ना नही है
बस अपने आप को हर बार ये समझाना है
हाँ मैं कर सकती हुँ मैं भी आगे बढ़ सकती हुँ।

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