बात है शरद पूर्णिमा की
आओ सुनते हैं कहानी चंद्रमा की
ये कथा है उनके सुंदर चरित्र की
और राजा दक्ष के दिये गए अभिशाप की
रूपवान चंद्र देव की सताईस पत्नियों की
जो परम प्रिय कन्या है माता प्रसूति की
क्या बात है शरद पूर्णिमा की
आओ सुनते है कहानी चंद्रमा की
सभी भार्या करती थी अनंत प्रेम उनसे
परन्तु वो प्रेम करते थे सिर्फ एक से
सब दुःखी थी चंद्र के इस व्यवहार से
चंद्रदेव तो खुश थे रोहिणी के प्यार से
सभी काट रही थी वक़्त व्यथित मन से
समय बीत रहा था अपने क्रम से
क्या बात है शरद पूर्णिमा की
आओ सुनते है कहानी चंद्रमा की
जब पता चली यह बात राजा दक्ष को
यह सुनकर अति क्रोधित हुए वो
दिया क्षय रोग का अभिशाप उनको
किसी एक से स्नेह करना भारी पड़ा उनको
चिंतित हुए देख अपनी गलती काया को
तब पूजने लगे चंद्र अपने महादेव को
क्या बात है शरद पूर्णिमा की
आओ सुनते हैं कहानी चंद्रमा की
घोर तप किया फिर चंद्र देव ने
दिया ऐसा वरदान उनको महादेव ने
प्रसन्न थे चंद्र देव वरदान से अपने
पुनः लौटा दी सोलह कलाएं उन्होंने
पूर्ण हुए चंद्रमा पूर्णिमा की रात्रि
क्या बात है शरद पूर्णिमा की
आओ सुनते हैं कहानी चंद्रमा की