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नज़र और नज़रिया दोनों बदलने की ज़रूरत है
कपड़े के अंदर झाँकती ये गंदी नज़रे
मन को तार तार कर जाती है
तन तो बाद में छलनी होता है
हृदय को आघात पहले पहुंचा जाती है
कब तक पहनावे को दोष देते रहेंगे
नज़रो की दरिंदगी को छिपाते रहेंगे
नज़र और नज़रिया दोनों बदलने की ज़रूरत है
रूढ़िवादी विचार बदलाव चाहता है
कब तक पुराने विचारों को ढोते रहेंगे
सिर्फ लड़कियों को संस्कार सीखाने से कुछ न होगा
बेटों के मन में भी ये बीज बोने पड़ेंगे
गंदी सोच तो न उम्र देखती है ना पहरावण
देखती है तो बस तन चाहे हो लाख आवरण
नज़र और नज़रिया दोनों बदलने की ज़रूरत है
हमारी बेटियां हमारी विरासत है
जिसकी सुरक्षा हर एक की ज़रूरत है
अगर हम ज़िम्मेदारियों को उठाने की ठान ले
उनके ऊपर उठने वाली हर नज़र को झुका दे
हर एक व्यक्ति इसे अपना कर्तव्य बना ले
तो शायद हम अपनी बच्चियों को बचा ले
नज़र और नज़रिया दोनों बदलने की ज़रूरत है
हर वक़्त किसी और के गुनाह की सज़ा
किसी बेगुनाह को सहनी पड़ती है
शिकारी आघात किसी एक को पहुंचाता है
पर भुगतना पूरे परिवार को पड़ता है
हर रोज़ न जाने कितनी निर्भया मरती है
मन ही मन न जाने कितनी सिसकती और डरती है
नज़र और नज़रिया दोनों बदलने की ज़रूरत है

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