यह आर्यावर्त की पावन वसुंधरा पर सनातन धर्म की बहती अविरल धारा से पावन भारत भूमि अपनी नारी शक्ति पर गर्व करता है। वैसे तो "वासुदेव कुटुंबकम" यह प्रत्येक भारतीय की भावना है। हम लोग गौरवान्वित है अपनी भारत माता से" जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी"शिव अर शक्ति का मिलन ही सर्वशक्तिमान है। प्रातः काल स्मरणीय श्रेष्ठ नारी जिनका स्मरण करने से पाप का नाश होता है अहिल्या, द्रौपदी, तारा,कुंती, मंदोदरी, यथा पंचकन्या स्मरेण मात्र महापात्तक नाशनम। माता जानकी उर्मिला सावित्री जैसी महान शति यह भारत भूमि की महान शक्ति है। पूजनीय योग कि यह शक्ति आज की भारतीय नारी का आदर्श है।

रिक्त है यह आज पावन धरा जिसकी नारी मर्यादा भूल गई। रिक्त हैं शृंगार नारी का, आभूषण रिक्त है। रिक्त हैं लंबे बालों का आकर्षण रिक्त हैं। बिंदिया बिना लीलार रिक्त है। वस्त्र का वह आंचल रिक्त है। हाथों और पाव की खनखनाहट रिक्त हैं। ऐसे में लगता है नारी का अस्तित्व रिक्त है । लुप्त हो रहा यह मातृत्व की भावना, आदर्श पत्नी की मर्यादा और कन्याओं की शालीनता।

आए आप सभी बढ़कर ऐसी आधुनिकता का विरोध करें।।

कहने का तात्पर्य यह है कि बुराई आधुनिक बनने में नहीं है पर अत्याधुनिक बनकर पाश्चात्य का अनुसरण कर हम अपने संस्कृति को ही भूलने लगे ऐसे में ना ही देश का उत्थान होगा और ना ही समाज का।

जब हमारा संस्कार ही लुप्त होने लगेगा तो यह ऋषि महात्माओं कि तपोभूमि तपस्या और आराधना वेद, पुराण ,शास्त्री की महिमा इन सब की छवि धूमिल होने लगेगि सब पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा इसीलिए यथाशीघ्र जागरण जरूरी है अगर अभि नहीं तो कभी नहीं।

देवियां देश की जाग जाए अगर युग स्वयं ही बदलता चला जाएगा।

नारिया सजम को साध ले अगर

दीढ़ पुरुषों का पुरुषार्थ हो जाएगा।

मातृशक्ति अध्यात्म ग्रहण करें संतानों का भविष्य उज्जवल हो जाएगा। स्वार्थ समाप्त होकर परमार्थ बन जाएगा।।

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