विवाह का अर्थ है एक संस्कार जो स्त्री और पुरुष को मर्यादित ढंग से समाज में जीने की अनुमति देता है, इसके अंतर्गत नर और नारी मिलकर एक जीवन यापन करने का संकल्प लेता है| यह माता पिता सगे संबंधी के सहमति से होता है | गृहस्थ जीवन की यह बुनियाद होती है|

इसके अंतर्गत परिवार का गठन होता है, समाज में रहकर व्यवस्थित जीवन जीने के लिए यह संस्कार अति आवश्यक है| विवाह आठ प्रकार के होते हैं, हिंदू धर्म में वेद पुराण आदि ग्रंथ के अंतर्गत महत्वपूर्ण स्थान है विभिन्न समाजशास्त्रियों के द्वारा अपने अपने मत अनुसार इसका उल्लेख पढ़ने को मिला है रामायण महाभारत में इसका वर्णन विस्तार से हैं| ब्रह्म विवाह, देव विवाह, आर्य विवाह, प्रजापति विवाह, गंधर्व विवाह, राक्षस विवाह, असुर विवाह, पिशाच विवाह इतने सारे विवाह में मान्यता सिर्फ ब्रह्म विवाह को है| वर्तमान समय में समाज में गंधर्व विवाह का प्रचलन बढ़ा हुआ है, पूर्ण रूप से इसे मान्यता प्रदान नहीं की गई है|

सवाल यह उठता है कि विवाह विच्छेद में इतनी बढ़ोतरी क्यों? आप वर्तमान में प्रत्येक समाज में तलाकशुदा स्त्री या पुरुष देखेंगे इसका जिम्मेदार आज का आधुनिकरण , दूरदर्शन और दूरभाष के उपयोगिता का गलत प्रयोग ही ज्यादातर इसका जिम्मेदार है| विवाह का अर्थ समझे बगैर इस बंधन में बंध जाना और इसका दुरुपयोग करना कहां तक उचित है|

यह संस्कार 16 संस्कारों में श्रेष्ठ संस्कार है| इसमें सात वचनों के द्वारा पति-पत्नी जन्म जन्म जन्मांतर के बंधन में बंध जाते हैं लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि सात वचन उसी क्षण तक के लिए बोला जाता है| विवाह संपन्न होते ही इसका अस्तित्व खत्म हो जाता है| विवाह का अर्थ है वासना का हनन इस संस्कार के द्वारा मर्यादित ढंग से जीवनयापन करने का उद्देश्य है, यह भोग विलास करना उद्देश्य नहीं अपितु पति पत्नी धर्म के कार्यों को संपन्न करते हुए परमार्थ की ओर बढ़ते हुए पति पत्नी का संबंध गृहस्थ की नीव को मजबूत करता है| इसके विपरीत वर्तमान में कुछ ऐसे ही भटके हुए युवक युवतियों के कारण मानसिक तनाव बढ़ रहा है ऐसे में कितने माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य के लिए चिंतित है| यह परवरिश की ही कोई कमी के कारण आजीवन समस्या बनकर खड़ी हो रही है|

यह विवाह विच्छेद सुरसा के तरह मुंह फैला रही है, जिससे समाज का वातावरण प्रभावित हो रहा है| पिछले लंबे अरसे से जो दहेज की समस्या बनी हुई है यह प्रथा भी इसका जिम्मेदार है| इस प्रथा की वजह से लड़की को प्रताड़ित किया जाता है इसका परिणाम तलाश के रूप में सामने आता है और निवारण ढूंढ कर नहीं मिलता|

वर्तमान काल में विवाह समाज में विकार का रूप दिखा रहा है| व्यक्ति का हैसियत और धन दौलत की नुमाइश ही शादी का मकसद बनकर रह गया है| रस्मो रिवाज की अहमियत लुप्त होती जा रही है फलस्वरूप परिणाम भयंकर हो रहा है| अब सवाल यह उठता है कि उसका सुधार ना हुआ तो इस संस्कार पर बड़ा धब्बा लग जाएगा| इस ओर ध्यान आकर्षित कर यह मकसद है कि उचित कदम उठाया जाना चाहिए अन्यथा और भी भयंकर हो सकती है| 

“ मनसा बचा करमना इनसे रस्मे निभाओगे आयुष्मान योग्य वन तेजस्वी वन संतान पाओगे|“

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