Image by Myriams-Fotos from Pixabay 

दिया सिंग एक रईस घराने की बेटी। बचपन ही से पिताजी की आंखों का तारा। उसे भूख लगने से पहले खाना, प्यास लगने से पहले पानी, नींद से पहले नरम मखमली बिस्तर जैसा अयेश वो आराम था। महंगी गाड़ियां, आलीशान बंगले, कीमती कपड़े और ज़ेवरों की मालकिन के शोक भी शाही। ना रिश्तों की परख थी ना ही एहसास। 

देर रात तक बाहर घूमना, दोस्तों के साथ नशीली चीज़ें इस्तेमाल करना अब आदत बन गई थी। इन सभी नशों में वो लीन थी के 18 वे जन्मदिन पर पिताजी ने उसे अपनी पूरी जायदाद की इकलौती मालकिन बना दिया। इस नशे ने उसे दुनिया की सबसे अमीर इंसान होने का फितूर चढ़ाया था।

एक दिन दिया के महंगी गाड़ी से एक 10 साल का बच्चा टकरा कर जख्मी हालत में करहा रहा था। दिया उसपर भड़क के कहती है " ये भिकारी मेरी गाड़ी खराब कर दी अब रोता क्या है दफा होजा यहां से" 

वो मासूम अपने उन जख्मी हाथों से अपनी आंखें साफ कर रहा होता है के दिया उसे नजरअनदाज कर वहा से चली जाती है।

कुछ दिन बाद उसी सड़क पर वही बच्चा इंतजार में खड़ा रहता है, मानो उसे दिया का ही इंतजार हो, लेकिन दिया ने उसे अनदेखा कर अपनी गाड़ी भगाने लगती है तब वो लड़का दौड़ते हुए पीछे भागता है। दिया की गाड़ी से उतरते ही उसके पैर पकड़ लेता है। वो आग बबूला हो उसे झिड़का देती है। वो मासूम सिर्फ मुस्कुरा के दिया की ओर देखता है। 

दिया भले ही वहां से निकल आई। लेकिन वो मुस्कान अपने साथ अपने घर ले आती है, बेचैन हो कर आईने में देख रही होती है के आवाज आई " क्या हुआ दिया बेटा आज बड़ी परेशान दिख रही हो क्या बात है? " 

दिया अपने पिताजी के गले मिलकर कहती है " कुछ दिनों से एक अजनबी लड़का, न जाने क्यों मुझे परेशान कर रहा है। शकल से तो *भिकारी* लगता है, भला मुझसे उसका क्या काम!

और आज तो उसने हद्द ही कर दी मेरे दोस्तों के सामने मेरे पैर पकड़ लिए। 

पीताजी ने पूछा क्या तुम ने उस लड़के से बात की? 

दिया ने कहा बिल्कुल नही वो एक भिकारी है मैंने उसे डांट कर भगा दिया।

यह सुनकर पिताजी खामोश हो गए जैसे उन्हें सांप सूंघ गया हो। 

दिया ने कहा क्या होगया, आप कुछ बोलते क्यों नहीं मैं ने जो किया वो सही तो है ना?

शाम को आंगन में तुम्हे इसका जवाब मिलेगा कह के पिताजी चले गए।

शाम होते ही दिया आंगन में आकर इंतजार कर रही होती है। धड़कनें तेज, कदम आगे पीछे करते हुए, आँखें बार बार घड़ी की ओर देखने लगती है। शाम से रात होजाती है लेकिन पिताजी का कोई अता पता ना होने के कारण वो सोचती है के पिताजी काम में भूल गए होंगे चलो कोई बात नही मैं खुद उनके कमरे से हो आती हूं।

मेरे कदमों की आहट सुनते ही पिताजी बोले आजाओ दिया अंदर आजाओं तुम्हें तुम्हारे सवाल का जवाब चाहिए होगा।

दिया परेशान हो कर सोचती है के पिताजी को तो याद है फिर वो नीचे क्यों नही आए?

बेटी को यूं असमंझस में देख पिताजी बोले "" बेटी अब समझ गई होंगी के इंतजार क्यू किया जाता है""?

शायद उस लड़के को भी तुमसे कुछ कहना हो। और तुमने उसकी बात सुने बिना ही उसके साथ गलत व्यवहार किया।

किसी भी एहसास को अमीरी गरीबी में तोलना गलत है बेटी।

और हा एक बात और किसीको उसकी शक्ल से भिकारी मत कहना। 

बरसों पहले सड़कों पर पला बढ़ा एक लड़का, मां बाप के गुजर जाने के बाद अपनी पढ़ाई और जरूरतें पूरी करने के लिए भीक मांगा करता था। भिक मांगना उसकी मजबूरी थी लेकिन पढ़ाई उसका जुनून, उस जिद्द की वजह से वो लोगो से पैसे मांग मांग कर अपनी पढ़ाई पूरी कर अपने हुनर को सरहता है एक हुनरमंद उद्योगपति बन नाम कमाता है।और वही भिकारी आज तुमसे बात कर रहा है बेटी। 

यह सुनते ही दिया के होश उड़ गए। उसने माफी मांगी। पिताजी ने कहा दिल उस लड़के का दुखा है तुम उससे माफी मांगो।

अगली सुबह दिया उस अजनबी की तलाश में उसी रास्ते से गुजरती है जहा वो पहली बार मिला था। वो लड़का सड़क के किनारे अदमरी हालत में पड़ा था। दिया को वहा पा कर वो हड़बड़ा कर पूछता है "मेमसाब आप"? आप, आप इस भिकारी से मिलने आई हो?

दिया ने हां में सर हिलाते हुए उसे उठाया और अस्पताल ले गई। मरहम पट्टी करवाने के बाद पूछा के तुम कहा रहते हो? तुम ऐसे क्यों जीते हो? और तुम मेरा इंतजार क्यू करते थे? 

मेमसाब मैं दीपक। सड़क ही अपना घर परिवार। इन सड़कों ने मुझे खाना दिया है मुझे जिंदा रखा है।

मेमसाब इन सड़कों पर सिर्फ आपका ही नहीं हर उस आलीशान गाड़ी का इंतजार करता हूं जिनकी खिड़कियां भूख मिटा सके।

लेकिन मेमसाब हर रोज यही लोग हमारे जज्बों को रौंद कर चले जाते है।

मेमसाब एक दिन आपको अपने दोस्तों के साथ पैसों को हवा में उछालते देखा था। गरीब हूं मेमसाब चोर नहीं। कुछ पैसों की आस में आपको नाराज कर दिया था। माफी मेमसाब माफी।

और मेमसाब मुझे बड़ा होकर गरीबों का ही डाक्टर बनना है जो जान बचा सके, पैसों की नही मुझ जैसे गरीबों की।

आप दिल की बहोत अच्छी हो, आप ने मेरी जान बचाई, मेरी मां या मेरी बड़ी बहन होती तो मुझ से इतना ही प्यार करती। शायद।

यह सुन दिया खुदको संभाल न पाई और रो पड़ी। दीपक से माफी मांगी। और उसके पढ़ाई का खर्च और रहने के लिए अपना घर देने का वादा करती है। 

दीपक अपनी पढ़ाई कर शहर का नामी डॉक्टर बन जाता है। जब दिया से मिलने आता है तब पता चलता है के दिया अस्पताल में है। दौड़ कर उसके पास जाता है, डाक्टर से यह पता चलता है के दिया को कैंसर है। उस वक्त सब छोड़ दिया की जिम्मेदारी लेता है। 

दिया से कहता है मेमसाब एक बात कहनी है आप बुरा ना मानें तो।

दिया कहती है हां हां कहो ना, कहते क्यू नही डरो नहीं।

"मेमसाब इस दीपक को आपने रोशन किया है। मुझे अब उन हजारों दीपकों को बुझने से बचाना है। और सबसे पहले आपको ठीक करना है। आज कुछ मांगू तो मना नहीं करना मेमसाब।

हा मांगो...

आप यह नशीली चीज़ों की आदत छोड़ दो ना। जिसने मुझे ज़िंदगी दी है मैं उसे ऐसे तील तील मारता नहीं देख पाऊंगा। मेरे लिए यह छोड़ दो।

दिया मुस्कुरा के बोली " हां ठीक है", और कहा अगर मैं ना रहूं तब भी तुम सबका इलाज करना एक अच्छे डॉक्टर बन कर।

मैं ने शादी तो नही की क्यू के मुझे बेटे का प्यार, दोस्त का साथ, हमदर्द का एहसास सिर्फ तुमसे मिला है। और किसी एक को अपना बना कर मेरे इन अनमोल रिश्तों को मुझे खोना नही था। 

तुम कभी किसका दिल न दुखाना कह के दीपक के सर पर हाथ रखती है।

दीपक का डॉक्टर बनने का सपना तो पूरा होगया था। उसे अपनी मेमसाब के नाम एक अस्पताल बनवा कर, तोहफे में देना था। इसी काम के सिलसिले उसे शहर से बाहर जाना पड़ा।

जिस दिन वो अस्पताल के कागजात ले कर लोटने वाला था उसी दिन सुबह फोन आता है के दिया अब इस दुनियां में नहीं रही।

दीपक के पाऊं तले जमीन खिसक गई और उसका सपना अधूरा रह गया। उसमे इतनी हिम्मत न थी के वो आखरी बार अपनी मेमसाब को विदा करे। वो बहुत रोया, घंटों पागलों जैसे उस सड़क पर घूमता, अपने मेमसाब की हर बात याद करता। 

कुछ वक्त बाद दीपक ने खुदको संभाला और उस अस्पताल को "दिया ट्रस्ट" का नाम दे अपनी मेमसाब को इंसानियत का तोहफा दिया।

.    .    .

Discus