पहेली दफा तेरा दीदार मुझे नसीब हुआ
भरी धूप में बरसात की बूंदों से वास्ता जुड़ गया
मेरा दिल तेरी गिरफ्त में आगया
तुमने भले ही मुझे न देखा हो
मेरी नजर तो तुमसे एक पल ओझल न हुई
मेरा मन मुझी से बगावत पर उतर आया
उसे अब तुम में जो बसना था
वो जिद्द करने लगा मुझसे, के छोड़ दूं उसे
उसे तुम्हारा होना था
तुम्हारी मुस्कान का कायल होगया वो
तुम्हारी खामोश पलकों से भी हजारों बातें करने लगा था वो
मानो जैसे तुम ही उसकी पहेली और आखरी ख्वाहिश हो
जब भी तुम्हारे खुले बाल तुम्हारी खुली आंखों को छूती
तुम बड़े अदब से अपनी जुल्फों को सहलाते हुए चलती
तब लगता, काश मैं तुम्हारी जुल्फें बन जाऊं
ता के तुम मुझे सहला सको, उतने ही प्यार से
जब भी तुम्हारी सहेलियां तुम्हारे आंखों के काजल की तारीफ करती
तुम शरमा जाती
तब लगता, के काश मैं, मैं बन जाऊं वो काजल जो तुम अपनी आंखों में सजाती
मेरा मन मशगूल था तारीफों के पुल बांधने में
अचानक उसकी प्यारी सी नजर मुझसे आके टकराई!
यकीन न था मुझे जन्नत की हूरों पर
लेकिन आज दीदार ए खुबसूरती ने सारे वहेम तोड़ दिए मेरे
लगने लगा के इस वक्त को अपने ही मुठ्ठी में कैद कर लूं
"वो मुझे और मैं उसे बस निहारते रहूं"
जाकर उसे समेट लेता
के बेजान जिस्म में रूह डाल दी जाती कोई
लेकिन कदम यह जमीन पर टहेरे ही नही
वो हूर मेरी आंखों से दूर होती गई
हजारों आवाज़ें दी
उसे रोकना था
उसे जानना था
अपने दिल का हाल सुनना था
उसकी खुशी को खुदमे समाना था...
अफसोस फासला इतना था के वो मुड़ के देख न सकी
हादसा ए सड़क में मेरी जान चली गई
लेकिन
"आज भी यह पागल रूह उसी रास्ते पर अपनी नजरें बिछाए खड़ी है"
काश यह अधूरी मुलाकात फिर मुकम्मल होजाए.