ए, करो व ना करो...
स्त्री हो ढ़ङ्ग के कपडे पहनो
हर पावंदी यहाँ स्त्री पर हि क्यु है??
जरा ए तो बताओ
क्या स्त्री इंसान नहिं है??
बहारी लोगोसे स्त्री को छुपाना छोड़ो
पहले जरा घरके अंदर छुपे
गंदगी साफ करना सिखो
अरे! कुत्ता भी सात घर छोड़ वार करता है
पर आजकल कुछ लोग
अपने हि घरको रंगमंच बना देते है
अपने हि भतिजि-भौजाईयों से बिस्तर गरम करते है
लाचार-नन्हीं परियों से अपनी प्यास बुझाते है..!!
जाने किस गंदगी से, ए! पले जाते है
जो स्त्रियों को सिर्फ भोग का वस्तु समझते है
ना लिहाज किसि रिश्ते का
ना परवाह किसि वचन का
कलियुग के राक्षस है, ए!
जो अच्छाई का नकाब ओढ़े
हर कसम तोड़ने को है खडे..!!
फिरभी, ए समाज जाने क्यु स्त्री को हि दोष देता है
पल्लु सहिसे नहिं ढका था,
केहेते है यिसि लिए तो रेप हुआ था
चलो माना उस भौजाई का
पल्लु जरा सरक गया था
यिसी लिए व देवर कुछ जाता हि बहक गया
पर जरा ए तो बताओ समाजके रखवालो
11-12 साल कि बच्चियोंको
अब कितने फिटका धुंधट डाल घुम्ना चाहिए
जिस्से कि रेप केश जरा-सा घट जाए..!!
आजकल ज्यादातर बच्चियों का हि रेप होता है
हर अखबारमें एक नयी ' ए ,कहानी छप्ता है
और बदकिस्मतीसे वह बलत्कारी और कोई नहिं
उन्का रिश्तेदार हि निकल्ता है
कुछ बच्चियाँ आत्महत्या करके
उस दर्द से छुटकारा पाती है
और कुछ उसी डरको
गुस्सा बनाकर दिलमे दफ्न कर लेती है
ए सोच, जब व बडि होंगी
हर चोटका गिनगिन कर हिसाब लेंगी…!!
पर है तो! व, भी एक स्त्री
जिन्हे बस दबने और सहनेका
पाठ पढाया जाता है
ईज्जत-मान-प्रतिष्ठा कि सोरमे
उन्के आवाजो को दबा दिया जाता है
ए व कलियुग का डगर है
जहां सचमे आज बच्चियों का बच्पन
दाओमे लगा है..!!
ना फुफा ना मौसा
हर रिश्तेमे आज दाग लगा है
अरे! घरके बहार तो स्त्रियाँ
चिखचिखकर भी न्याय माँग लेंगी
पर रिश्तो के नकाबमे छुपे भेडियोसे
अपनी बच्चियों को कैसे बचाएंगी..!!
दस्तक भी नहिं होता और उन्की परियां
फुफा-मौसा जैसे रिश्तो कि हवस बन जाती हैं
आवज धिमी - नजर निचे - तन ढको
ए! ज्ञान हुआ अब पुराना _
ए! वत्त है अब बदल्ने का ..!!
स्त्री को भोग समझ ;
रेप करने वाले नामर्दोको सबक सिखानेका
ए ! वक्त है अब हर इंसाफको जगाने का
अब स्त्रीयों को सिर्फ शास्त्र का नहीं
बल्कि
अस्त्र ज्ञान कि भी जरूरत है
रिश्तोके नकाबमे छुपे बलात्कारियोंसे
अपनी बच्चियोंको जरा सतर्क करे
ए, व ' दुनिया है, जहां सचमे
आज बच्चियोंका भविष्य दाओमे लगा है..!!
"आ गया देखो अब वक्त
हर रिश्ते को टटोल्ने का
गंदगी को मिटाकर
हर स्त्री को आत्मनिर्भर बनाने का
शस्त्र - अस्त्र ज्ञान सिखाकर
हर स्त्री के अंदर छुपी
उस शक्ति को फिरसे जगाने का
ए वक्त नहीं अब सहने का............
ए वक्त है अब सोच बदलने का...//
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