Interesting facts about Lohri

लोहड़ी का पर्व उत्तर-भारत और खासकर पंजाबियों के लिए विशेष महत्व रखता है. इस वे बड़े ही उत्साह और उल्लास के साथ मानते हैं. इस पावन अवसर पर खुले स्थान में पवित्र अग्नि जलाते हैं और परिवार और पड़ोस के लोगों के साथ नाच-गाकर खूब मस्ती एवं धमाल करते हैं. इस खास दिन को यादगार बनाने के लिए मक्का, मूंगफली आदि पवित्र अग्नि को अर्पित कर परिक्रमा करते हुए खुशियां मानते हैं. लेकिन, क्या आप इस त्योहार से जुड़े उन रोचक तथ्य के बारे में जानते हैं जो इस पर्व की बुनियाद है. चलिये हम आपको लोहड़ी से जुड़े पांच रोचक तथ्य के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे आपको जरूर जानना चाहिए.

1. लोहड़ी एवं मकर संक्रांति एक-दूसरे से गहरे रूप से जुड़े है. हर साल 13 जनवरी को यानी पौष मास के अंतिम दिन लोहड़ी का पर्व होता है. इस दिन जहां शाम के वक्त लकड़ियों की ढेरी पर विशेष पूजा के साथ लोहड़ी जलाई जाती है. इसके अगले दिन माघ महीने की संक्रांति को माघी या मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. इस दिन सूर्य उत्तरायन होते है.

2. लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल तथा रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) शब्दों के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के रूप में फेमस हो गया. इस पर्व में अग्नि का विशेष महत्व होता है. इस दिन अग्नि के चारों ओर घूमते हुए नई फसल को अर्पित की जाती हैं और इसके जरिए ईश्वर का आभार जताया जाता है.

3. खेत खलिहान का उत्सव है लोहड़ी. इस दिन से मूली और गन्ने की फसल बोई जाती है. इससे पहले रबी की फसल काटकर घर में रख ली जाती है. खेतों में सरसों के फूल लहराते दिखाई देते हैं. इस दिन विशेष पकवान बनते हैं, जिसमें गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होता है.

4. नववधू, बहन, बेटी और बच्चों का पर्व है लोहड़ी. जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर बधाई दी जाती है. प्राय: घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत विशेष होती है. इन घरों में लोहड़ी विशेष उत्साह के साथ मनाई जाती है. लोहड़ी के दिन बहन और बेटियों को मायके बुलाया जाता है.

5. इस खास पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है लोहड़ी. कथा के मुताबिक जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नीं सती ने आत्मदाह कर लिया था। उसी दिन की याद में यह पर्व मनाया जाता है. 

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