‘‘नीले पहाड़ों और लाल नदी’’ जैसे उपनाम से विख्यात असम उत्तर पूर्वी राज्यों का प्रवेशद्वार है. ऐसी मान्यता है कि गुवाहाटी के पश्चिमी हिस्से में नीलाचल की पहाड़ियों में स्थित कामाख्या देवी हर साल जून के महीने में रजस्वला होती हैं और उनके बहते रक्त से पूरी ब्रह्मपुत्र नदी का जल लाल रंग के समान हो जाता है. ये मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है यहां मां शक्ति का योनि और गर्भ आकर गिरे थे.
असम को पूर्वोत्तर भारत के प्रहरी के रूप में भी जाना जाता है. सात भारतीय राज्यों तथा दो देशों भूटान एवं बांग्लादेश से घिरे इस राज्य की सीमा चीन और म्यांमार से भी लगती है. असम की पूर्वी सीमा पर नागालैंड, मणिपुर और म्यानमार हैं, पश्चिम में पश्चिम बंगाल है, उत्तर में भूटान और अरुणाचल प्रदेश और दक्षिण में मेघालय, बांग्लादेश, त्रिपुरा और मिजोरम है.
वहीं असम नाम के पीछे भी एक रहस्य है वो ये कि पहले यह प्राग्ज्योतिशा तथा कामरूप की राजधानी के रूप में जाना जाता था जिसकी राजधानी प्राग्ज्योतिशपुरा थी जो गुवाहाटी में अथवा इसके नजदीक स्थित थी. जब इसे अहोम लोगों द्वारा जीत लिया गया तब असम नाम प्रचलन में आया. एक बौद्ध ताई जनजाति के लोग अहोम सुकपा के नेतृत्व में 1228 ईसवी सन में यहाँ आए, यहाँ के शासक को अपदस्थ किया और शिवसागर में राजधानी बनाते हुए “असम” राज्य की स्थापना की. आज भी राज्य में अहोम राजवंश के 600 वर्ष पुराने स्मारक विद्यमान हैं. भारतीय इतिहास में यह सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला एकल राजवंश था. यह बहुत कम राजवंशों में से एक था, जिन्हें मुग़लों द्वारा नहीं जीता गया था.
असम के अधिकतर हिस्से में विशाल नदी ब्रह्मपुत्र बहती है, जो विश्व की सबसे महान नदियों में से एक है. इस नदी की लंबाई: 2900 किमी. है, जो न केवल चावल उगाने के लिए एक उपजाऊ जलोढ़ मैदान उपलब्ध कराता है बल्कि चाय की खेती के लिए भी मददगार है. एक ओर ब्रह्मपुत्र एवं बराक जैसी प्रमुख नदियां हैं तो यहां आपको घने जंगलों का दीदार भी देखने को मिलेगा. चाय के बागानों से तो असम की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं.
राज्य में 600 से अधिक चाय के बागान हैं जिसके सुंदर दृश्य ऊपरी असम की यात्रा करते समय आंखों को बेहद सुकून प्रदान करते हैं. यह राज्य विभिन्न जनजातियों एवं समूहों का निवास स्थान है. जिनकी अपनी अलग सांस्कृतिक विरासत, जीवन-शैली, खान-पान, गीत, पर्व होते हैं. इसमें बिहू, बैसागू, रोंगकर एवं चोमनकान पर्व, बिशु, बैखो, अली-आए-लिगांग, मी-दम-मी-फी, अम्बुबाची मेला इत्यादि प्रमुख हैं.
राज्य के गोलाघाट ज़िले में प्रसिद्ध कांजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान स्थित है, जहां विश्व में एक सींग वाले गेंडों की सबसे अधिक आबादी, एशियाई जंगली भैंसे, बारहसिंगा, जंगली हाथियों के साथ-साथ प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं. इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ भी बड़ी तादाद में पाये हैं. वहीं मानस राष्ट्रीय उद्यान जो एक विश्व विरासत स्थल के रुप में शुमार है. यह एक पूर्वी हिमालयी जैव विविधता क्षेत्र की एक घटक इकाई है. यह देश में दो जैव विविधता वाले ‘‘प्रमुख स्थलों’’ में से एक है.
जातिंगा डिमा हासाओ ज़िले में पक्षियों की आत्महत्या का रहस्य, प्रकृति में रुचि रखने वालों एवं अनुसंधानकर्ताओं के लिए एक रोचक विषय है. राज्य की लाइफ लाइन कही जाने वाली नदी ब्रह्मपुत्र असम के भूगोल का बड़ी खूबसूरती के साथ दर्शाती है. कोई भी इस पर चलने वाले क्रूज की सवारी कर सकता है, जिसमें प्रथम श्रेणी की सुविधाओं के साथ वन्यजीव, परंपरा, रोमांचकारी पर्यटन का अनुभव किया जा सकता है. ‘‘एमवी महाबाहु’’ दुनिया के 10 सर्वश्रेष्ठ रिवर क्रूज में से एक है जो असम के लिए बहुत गर्व की बात है.
प्राउड करने वाली बात ये भी है कि दुनिया का सबसे बड़ा बसा हुआ नदी द्वीप माजुली असम में ही है, जिसमें कई क्षत्रप वैष्ठव मठ हैं जिनमें से कुछ 16वीं सदी के हैं. साथ ही विश्व का सबसे छोटा नदी द्वीप जिसका नाम है उमानंद द्वीप. इन नदी द्वीपों पर आबादी है, घर हैं, मन्दिर हैं, दुकाने हैं; दुनिया के दुर्लभ सुनहरी लंगूर की प्रजाति यही है. यहां 17 विशेष किस्म के पक्षियों का प्रवास हैं.
तो हैं न खास 'असम', उसकी प्राकृतिक खूबसूरती और सांस्कृतिक विरासत जिसमें रोमांच, रहस्य, हरे- भरे घने जंगल, चाय के बागान, कल-कल बहती ब्रह्मपुत्र नदी है.