अफ्रीका के सूडान की मुंदरी जनजाति के लोग गायों के बगैर अपनी जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। लगाव ऐसा कि AK-47 राइफल से रात-दिन करते हैं गायों की रक्षा। वे गायों के लिए किसी की जान ले भी सकते हैं और अपनी जान दे भी सकते हैं ...! अफ्रीका में रहने वाली जनजातियों के जीवन में गायों का खास महत्व है। मुंदरी अपने मवेशियों के साथ ही सोते हैं और बंदूक की नोक पर इनकी रक्षा करते हैं, तो आइए जानते हैं मुंदरी जनजाति के जीवन से जुड़ी ये अनोखी कहानी..!

मुंदरी हैं कौन?

मुंदरी दक्षिण सूडान का एक छोटा सा जातीय समूह है। मुंदरी आदिवासी की मुख्य भूमि दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा से लगभग 75 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। मुंदरी एक चरवाहे के रूप में अपना जीवन जीते हैं। इनके लिए अपने प्राणों से बढ़कर अपने मवेशियों की देखरेख है। मुंदरी लोग गाय को "अंकोले-वातुसी" कहते हैं। मुंदरी लोगों की जान गायों में बसती है। मुंदरी लोग गायों को 'मवेशियों का राजा' मानते हैं। इनकी गायों की ऊंचाई सात से आठ फुट तक ऊंची होती हैं और इनकी कीमत भारतीय रुपये में करीब चालीस हजार के आसपास होती है। इनकी गायों की कीमत से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि आखिर मुंदरी के लिए ये जानवर इतने खास क्यों हैं..?

गायों के लिए जान देने वाले मुंदरी जनजाति जाने लेने से गुरेज नहीं करते

मुंदरी जनजाति के लिए गाय ही सब कुछ हैं। मुंदरी गायों की हत्या को सबसे बड़ा पाप मानते हैं। इस कारण शायद ही कभी इस समुदाय में गायों की हत्या हुई है। ये जानवर मुंदरी के लिए एक 'स्टेटस सिंबल' हैं। वे दहेज के रूप में भी इनका इस्तेमाल करते हैं। मुंदरी अपने गायों की रक्षा के लिए अपनी जान भी देते हैं और दूसरे की जान ले भी लेते हैं। इस समुदाय में बच्चे और बड़े दोनों गायों की देखभाल करते हैं। इन लोगों के लिए गायें ही सबकुछ है। ये लोग गायों को गर्मी से बचाने के लिए एक विशेष प्रकार की भभूत लगाते हैं, गायों को पानी पिलाने के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं, गायों को किसी भी प्रकार की चोट ना पहुंचे इसलिए रात में उनकी चौकीदारी करते हैं ताकि जंगली जानवर उनका शिकार ना कर पाएं। मुंदरी जनजाति गायों के दूध के साथ-साथ उसका मूत्र का भी सेवन करते हैं। उनका यह मानना है कि गौमूत्र उनको गंदगी से दूर रखता है। इस जनजाति का गायों से प्रेम बहुत गहरा है। गायों के लिए ये अपना पूरा जीवन समर्पित करते हैं..!

बच्चों से ज्यादा गाय का रखते है ध्यान

मुंदरी जनजाति असल में गौपूजक जनजाति हैं। ये गायों को माता मानते है और मां की तरह गायो की सेवा भी करते हैं। मुंदरियों का गायों से लगाव का आलम यह है कि ये अपने बच्चों का ध्यान रखें या ना रखे, गायों का ध्यान जरूर रखते हैं। दक्षिण सूडान का यह भाग ज्यादातर सूखे की चपेट में रहता है क्योंकि यहां बारिश बेहद कम होती है और गर्मी बहुत ज्यादा पड़ती है। इस कारण पानी की समस्या बनी रहती है लेकिन फिर भी मुंदरी जाति के लोग गायों को सुखी रखने के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं। मुंदरी गायों को गर्मी और धूप से बचाने के लिए उनके शरीर पर एक विशेष प्रकार की भभूत लगाते हैं जिससे वे अपने खुद के शरीर पर भी मलते हैं। गायों से इस जनजाति का प्रेम इतना गहरा है कि जब किसी कारण से किसी गाय की मृत्यु हो जाती है तो मुंदरी लोग फूट-फूटकर रोने लगते हैं और अत्यधिक शोकग्रस्त हो जाते हैं। यहां तक कि कुछ समय के लिए खाने-पीने से मुंह मोड़ लेते हैं। मुंदरी समाज में किसी गाय की मृत्यु मुंदरी लोगों के लिए किसी अपने सगे-संबंधित के मृत्यु के समान होती है..!

AK-47 राइफल से करते हैं रातभर निगरानी

मुंदरी लोग जंगली हिंसक जानवरों से अपनी गायों को बचाने के लिए रात में जागकर अपने हाथों में AK-47 राइफल रखे गायों के झुंड के पास पहरा देते हैं। वे इसके लिए बकायदा अलग-अलग शिफ्ट बनाते हैं। एक रात एक मुंदरी समूह गायों के लिए पहरा देता है तो दूसरी रात कोई दूसरा समूह गायों की सुरक्षा के लिए पहरा देगा। यहां लोग अपनी कीमती गायों के साथ रात में सोते भी हैं। वे उनसे महज 6-7 फुट की दूरी पर अपनी रात बिताते हैं। मुंदरी लोग अपनी गायों की सुरक्षा के लिए स्वचालित राइफल और दूसरे हथियारों का उपयोग करते हैं। मुंदरी लोग गायों के दूध से लेकर मूत्र भी पीते हैं। उनका मानना है कि इनमें अनेक गुण होते हैं और जो भी इनका सेवन करेगा वह निरोगी होगा। कई बार मुंदरी लोग गायों के थन से सीधे दुग्धपान करते हैं। गायों के साथ इनका अपनत्व इतना गहरा होता है कि गायें कहीं भी हों मुंदरियों की एक आवाज पर अपने सुरक्षित होने का उत्तर देती हैं..!

गायों के हर चीज का इस्तेमाल करते हैं मुंदरी

मुंदरियों के सारे धार्मिक, सांस्कृतिक, जन्म और विवाह में गायों का महत्वपूर्ण स्थान होता है, इनका कोई भी कार्यक्रम बिना गायों के संपूर्ण नहीं होता। गाय न सिर्फ इनकी आर्थिक धुरी होती हैं बल्कि इनकी सामजिक प्रतिष्ठा की भी परिचयायक होती हैं, जिसके पास जितनी गायें वह उतना ही सम्मानित...! दक्षिण सूडान में कड़ी धूप और अन्य कारणों से इन्फेक्शन का खतरा बना रहता है। गर्मी से बचने और मच्छर भगाने के लिए इस जनजाति के लोग गोबर के कंडे की राख को पाउडर की तरह शरीर पर लगाते हैं। मुंदरी पुरुष और औरतें गो-मूत्र से अपने बालों को धोते हैं, गो-मूत्र में पाया जाने वाला अमोनिया इनके बालों को लाल कर देता है और ये लाल बाल इनके समाज में पवित्रता की निशानी होती है जिसके मूल में गो-मूत्र होता है। गाय का दूध, मूत्र और गोबर इस समाज में पवित्र माना जाता है। ये लोग रात को गायों को मिट्टी लगाते हैं। उनका मानना है कि इससे गायों को किसी तरह का इंफेक्‍शन नहीं होता है ....! मुंदरी जनजाति गायों के मूत्र से स्नान भी करते हैं और उनका यह मानना होता है कि गोमूत्र उनको गंदगी और बीमारियों से दूर रखता है। धन्य है मुंदरी जनजाति. काश हमारे देश में भी ऐसे ही गायों के महत्व को समझते लोग...!

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