अटल जी राजनेता और साहित्यकार दोनों रूप में आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं. बतौर राजनेता उन्होंने वो मुकाम हासिल किया जो सबको नसीब नहीं होती है. उन्होंने 3 बार देश की सत्ता संभाली. 13 दिन, 13 महीने फिर पूरे 5 साल अटल जी प्रधानमंत्री बनकर देश का नेतृत्व किया. वहीं साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने कई बेहतरीन कविताएं लिखीं. कविताओं को लेकर उनका विचार था, 'मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं'. उनकी कविताओं का संकलन 'मेरी इक्यावन कविताएं' खूब चर्चित रही. जिसमें..हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा.. खास चर्चा में रही. उनकी एक कविता ने तो पूरे पाकिस्तान की करतूतों का चिट्ठा खोलकर रख दिया. पाकिस्तान पर लिखी गई उनकी ये कविता काफी प्रसिद्ध है जिसे खूब पढ़ा व सुना जाता है.
''मस्तक नहीं झुकेगा''
एक नहीं, दो नहीं, करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा
अगणित बलिदानों से अर्जित यह स्वतंत्रता
त्याग, तेज, तप, बल से रक्षित यह स्वतंत्रता
प्राणों से भी प्रियतर यह स्वतंत्रता..
इसे मिटाने की साजिश करने वालों से
कह दो चिनगारी का खेल बुरा होता है
औरों के घर आग लगाने का जो सपना
वह अपने ही घर में सदा खरा होता है.
अपने ही हाथों तुम अपनी कब्र न खोदो
अपने पैरों आप कुल्हाड़ी नहीं चलाओ
ओ नादान पड़ोसी अपनी आंखें खोलो
आजादी अनमोल न इसका मोल लगाओ.
पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है
तुम्हें मुफ्त में मिली न कीमत गई चुकाई
अंग्रेजों के बल पर दो टुकड़े पाए हैं
मां को खंडित करते तुमको लाज न आई.
अमेरिकी शस्त्रों से अपनी आजादी को
दुनिया में कायम रख लोगे, यह मत समझो
दस-बीस अरब डॉलर लेकर आने वाली
बरबादी से तुम बच लोगे, यह मत समझो.
धमकी, जेहाद के नारों से, हथियारों से
कश्मीर कभी हथिया लोगे, यह मत समझो
हमलों से, अत्याचारों से, संहारों से
भारत का शीश झुका लोगे, यह मत समझो.
जब तक गंगा की धार, सिंधु में ज्वार
अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष
स्वातंत्र्य समर की वेदी पर अर्पित होंगे
अगणित जीवन, यौवन अशेष.
अमेरिका क्या संसार भले ही हो विरुद्ध
काश्मीर पर भारत का ध्वज नहीं झुकेगा,
एक नहीं, दो नहीं, करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा.