Which type of utensils are good for health

हेल्थ के लिए न सिर्फ अच्छा भोजन मायने रखता है बल्कि वो भोजन किस बर्तन में बनाया जा रहा है उसकी भी खास अहमियत होती है. क्योंकि हम क्या खाते हैं इसका सीधा कनेक्शन हमारे सेहत से होता है. तो आइए जानते हैं कि किस तरह के बर्तन में खाना बनाना चाहिए और किसमें नहीं!

स्टील- स्टेनलेस स्टील के बर्तन अच्छे, सुरक्षित होते हैं. स्टील एक मिश्रित धातु है, जो लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल मिलाकर बनाई जाती है. स्टील के बर्तन नुक्सान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुंचता तो नुक्सान भी नहीं होता.

लोहा- भोजन पकाने और खाने के लिए लोहे के बर्तनों का उपयोग हर तरह से फायदेमंद होता है. इन बर्तनों में पकाए गए भोजन में आयरन की मात्रा अपने आप बढ़ जाती है और आपको उसका भरपूर पोषण मिलता है. लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है और पीलिया रोग को दूर रखता है. लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है.

परंतु लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है. और भूलकर भी इसमें खट्टी चीजें गलती से भी नहीं बनाये. खट्टे या एसिड पदार्थ लोहे के साथ रिएक्शन कर आपके खाने में खराब स्वाद पैदा करते हैं, जो आपके मुंह के स्वाद के साथ सेहत का हाल भी बिगाड़ सकते हैं. इसी वहज से कढ़ी, सांभर और टमाटर जैसे पदार्थों को लोहे की बर्तन में नहीं बनाने की सलाह दी जाती है.

एल्यूमिनियम- एल्यूमिनियम बॉक्साइट का बना होता है. यह खाने से आयरन और कैल्शियम तत्वों को सोख लेता है. यानी यदि पेट में गया तो शरीर से आयरन और कैल्शियम सोखना शुरू कर देता है. इससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं. इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुकसान होता है. यह भी अम्ल के साथ बहुत जल्दी रासायनिक प्रतिक्रिया करता है, इसलिए इसमें खटाई या अम्लीय सब्जियों चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

इस धातु में बने खाने के इस्तेमाल करने से मानसिक बीमारियां भी हो सकती हैं, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है. उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियां होती हैं.

नॉन-स्टिक- इसके बर्तनों की सबसे खास बात यह है कि इनमें तेल की बहुत कम मात्रा का यूज होता है और खाना पढिया पकता है. नॉन-स्टिकी होने की वजह से इनमें खाना चिपकता भी नहीं. लेकिन नॉन-स्टिक बर्तनों को बहुत ज्यादा गर्म करने या इनकी सतह पर खरोंच आने से कुछ खतरनाक रसायन निकलते हैं. इसलिए विशेषज्ञ हमेशा इन बर्तनों को बहुत ज्यादा गर्म करने या जलते गैस पर छोड़ने की सलाह नहीं देते हैं.

मिट्टी- मिट्टी का बर्तन एकमात्र ऐसा पात्र है जिसमें भोजन करने से 1 फीसदी का भी नुकसान नहीं होता. सिर्फ फायदे ही फायदे मिलते हैं. आपको बता दें कि मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे. आयुर्वेद के साथ आधुनिक विज्ञान भी इस बात पर एकमत है कि भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है.

कांसा- कांसे के बर्तन में भोजन पकाना और करना अच्छा माना जाता है. कांसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख भी बढ़ती है. लेकिन एक बात का ध्यान रखें, कांसे के बर्तन में खट्टी चीजें नहीं परोसनी चाहिए. क्योंकि खट्टी चीजें इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती हैं, जो नुकसान देती है.

तांबा- इस धातु के बर्तन में भोजन करना भी फायदेमंद है. यह बर्तन भोजन के पौष्टिक गुणों को बनाए रखता है. यह अम्ल और नमक के साथ प्रतिक्रियाशील होता है. इसलिए इसमें कई बार पकाए जा रहे भोजन में मौजूद ऑर्गे‍निक एसिड बर्तनों के साथ प्रतिक्रिया कर ज्यादा कॉपर पैदा कर सकते हैं, जो नुकसानदायक हो सकता है. और एक बात और तांबा के बर्तन में भूल से भी दूध नहीं पीना चाहिए. आयुर्वेद के अनुसार ऐसा करने से शरीर को नुकसान होता है.

पीतल- पीतल के बर्तनों में खाना पकाना एवं खाना फायदेमंद माना जाता है. इस धातु के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती. एक्सपर्ट्स की राय के मुताबिक इसके बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं. यह नमक और अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करता है, इसलिए खट्टी चीजों का या अधिक नमक वाली चीजों को इसमें पकाना या खाना नहीं चाहिए, अन्यथा फूड पॉइजनिंग हो सकती है.

सोना- यह एक गर्म धातु है. इससे बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आंतरिक और बाहरी दोनों हिस्से ताकतवर और मजबूत बनते हैं. सोने से बने बर्तन में भोजन करना आंखों के लिए भी लाभदायक है, यह आंखों की रोशनी बढ़ाता है.

चांदी- यह एक ठंडी धातु है. इससे बने बर्तन में खाना पकाने और करने के शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचती है, जो शरीर को शांत रखती है. इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है. इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित करता है. चांदी भी आंखों के लिए फायदेमंद है.  

हमें उम्मीद हैं कि इस आर्टीकल से आपने खाना बनाने के लिए उचित बर्तन के बारे में कई अनुठी बातें जाना होगी. तो फिर देर किस बात की, आज से ही बताये गए इस वैज्ञानिक तथ्यों पर गौर फरमाइये . यकनीन आपको इससे लाभ मिलता हुआ दिखेगा और साथ ही अपने एक्सपीरियंस व सजेशन्स कमेंट कर हमें जरूर बताये.

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