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कोविड-19 की वजह से देश के पर्व और त्योहारों पर काफी बुरा असर पड़ा है. कोरना महामारी में अधिकतर त्योहार वैसे नहीं मनाये गए जैसे सामान्य दिनों में मनाये जाते थे. बिहार की सांस्कृतिक पहचान छठ पूजा भी इस बार कोरोना के साये में मनाया जा रहा है. लोक संस्कृति से जुड़ा ये पर्व लोगों के लिए महास्था का महापर्व है. जिसमें प्रकृति की पूजा की जाती है. इस पर्व में लोग नदी, तालाब, पोखर एवं झील किनारे घाट बनाकर सूर्य को अर्घ देते.

चूंकि इस त्योहार में सामुदायिक भागीदारी भारी तादाद में होती है और इस बार जानलेवा कोरोना वायरस का प्रकोप है. इसलिए छठ के इस महापर्व पर राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी की है जिसे जरूर फॉलो करें. आइये जानते हैं क्या हैं बिहार सरकार की गाइडलाइन्स?

सरकार ने लोगों से पर्व को काफी सतर्कता से मनाने की अपील की है. जिसके लिए राज्य में सरकारी गाइडलाइन जारी की गई हैं. इसमें 60 साल से अधिक व 10 साल से कम उम्र के लोगों को नदी घाटों पर जाने की अनुमति नहीं दी गई है. वहीं अर्घ के दौरान नदी में डुबकी लगाने पर भी रोक लगाई गई है. इसके साथ ही गाइडलाइन में प्रत्येक व्यक्ति को मास्क का प्रयोग करने और दो गज की दूरी(सोशल डिस्टेंसिंग) का अनिवार्य रूप से पालन करने की सलाह दी गयी है. साथ ही छठ के अवसर पर किसी प्रकार का मेला, जागरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं करने की हियादत भी दी गई है.

सरकार ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे अपने घरों में ही इस बार छठ मनाएं क्योंकि भीड़ जुटने से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मुमकिन नहीं होगा और फिर कोरोना के प्रसार की आशंका बढ़ जाएगी. आपको बता दें कि बिहार को छठ पूजा का केंद्र माना जाता है. बिहार के प्रवासी छठ के मौके पर अपने घर जरूर आते हैं. छठ पर्व विशुद्ध रूप से प्रकृति पूजा का महापर्व है. इसमें किसी तरह की मूर्तिपूजा नहीं होती बल्कि प्रकृति में उपलब्ध सामानों से छठी मइया की पूजा की जाती है.

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