छठ पर्व में खरना का विशेष महत्व है. इसी दिन व्रती अपने कुलदेवता और छठ माइया की पूजा करती हैं. इस दिन गुड़ से बनी खीर का प्रसाद छठी मैय्या को अर्पित किया जाता है. खरना से ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है. यह व्रत तब पूरा होता है जब उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता है.

इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं शाम को स्नान करती हैं और विधि-विधान से सोहारी(पूरी) जिसे आटे से बनाया जाता है और गुड़ की खीर का प्रसाद आस-पड़ोस में भी बांटा जाता हैं. इससे सामुदायिक विकास. सामाजिक भाईचारे का संदेश भी प्रसारित होता है.

छठ के प्रसाद में प्रकृति में उपलब्ध चीजों का ही इस्तेमाल किया जाता है. मूली, केला, आदी, गन्ना, गगार निंबू आदि को रखा जाता है. छठ पूजा लोक संस्कृति एवं लोक आस्था का महापर्व तो हैं ही, ये प्रकृति की पूजा का भी महापर्व है. इस दिन जो प्रसाद बनाया जाता है उसे मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर बनाया जाता है. फिर सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं.

आपको बता दें कि छठ महापर्व 18 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो चुका है जो अगले चार दिनों तक चलता है. पहले दिन नहाय-खाय, फिर खरना, षष्ठी को सझिया घाट ढलते हुए सूर्य को अर्घ और समापन सप्तमी को सुबह उगते हुए सूर्य के अर्घ के साथ होता है.

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