सूर्य उपासना की पावन धारा सनातन रूप से सदैव प्रवाहित होती रहे, इसी गूंज के साथ मोतिहारी के शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में छठ पर्व को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है. आपको बता दें कि लोक आस्था का महापर्व चार दिनों का होता है. चार दिवसीय यह महापर्व कार्तिक छठ के नाम से भी जाना जाता है जो इस साल बुधवार नवंबर 18 से शुरू होकर 21 नवंबर के सुबह तक मनाया जाएगा.

गौरतलब है कि आज बुधवार के दिन व्रत की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है. इस दिन छठव्रती श्रद्धालु नर-नारी अंतः करण की शुद्धि के लिए नहाय-खाय के संकल्प के साथ निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद अरवा चावल का भोजन ग्रहण करते हैं. इस व्रत में हर कुछ वही इस्तेमाल होता है जो प्रकृति के द्वारा छठ के समय उपलब्ध होता है. बांस निर्मित सूप, टोकरी, मिट्टी के बरतनों, गन्ने के रस, गु़ड़, चावल और गेहूं से निर्मित प्रसाद और कर्णप्रिय लोकगीतों को गाकर लोक जीवन की अद्भुत मिठास को सांस्कृतिक पटल पर उकेरते हैं. छठ पूजा के स्पेशल कवरेज के लिए रिफ्लेक्शन मीडिया की टीम पूर्वी चम्पारण के शहरी एवं ग्रामिण क्षेत्रों में जाकर छठ घाटों की तैयारी, व्रतियों से बात-चीत और इस अवसर पर बाजार में कैसी रौनक रही का जायजा लिया.

हमारी मीडिया टीम जब पचपकड़ी स्थित बाजार पहुंची तो पाया कि छठ की तैयारियों में जुटे लोगों से बाजार में खूब चहल-पहल दिखी. हर तरफ छठ पूजा के सामान की छोटी-बड़ी दुकानें सज हुई मिली. जिन घरों में छठ होना है, वहां तैयारी शुरू हो चुकी है. ऐसे में कोई घर की साफ-सफाई करने में लगा है तो कोई व्रती पूजा के बर्तनों की सफाई करने में. वही, लोगों ने इस अवसर पर पूजा सामग्री की जमकर खरीदारी करते दिखे.

इस पर्व के लिए बांस के सूप, दउरा, साड़ी, गन्ना, नारियल, फल सहित पूजा के हर छोटे-छोटे सामानों की खरीददारी में तेज देखी गई. इस दौरान हमने कुछ दुकानदारों से बात की. मोह्म्मद साहिल नाम के एक दुकानदार जो सूप, टोकरी बेचने का काम करते है ने बताया कि इस बार कोरोना के कारण बिक्री उतनी नहीं हुई. हम सालों से छठ व्रतियों की सेवा में ये काम करते आये है और आगे भी करते रहेंगे.



बाजार में सूप-टोकरी से लेकर पूजा की हर वस्तु मिल रही है. इसमें सूप 50-70 रुपये, दउरा 110 से 150 रुपये, नारियल 50 रुपये जोड़ा, अर्घ्य के लिए ढकना 10 रुपये प्रति पीस, दीया एक रुपये प्रति पीस, ढक्कन वाले दीये 15 रुपये, कलश 15 से 30 रुपये तक, धूपदानी 15 से 25 रुपये में उपलब्ध हैं. आपको बता दें कि छठ पूजा के लिए लोग बांस की डलिया में फल सब्जियों को सजाकर घाट पर ले जाते हैं फिर उसीसे सूर्य अर्घ्य देने की परंपरा है. डलियों में कच्चे फल के अलावा,रोली, चंदन, सिंदूर, छापा भी होता है, जिसे अर्घ में प्रयोग किया जाता है. पूजा की अन्य वस्तुओं की भी काफी मांग रही, इसमें सिंदुर, मौली धागा, धूप, घी, रूई, कमल गोटा, बादाम, इलायची, काजू, आलता पत्ता, अखरोट,सौंफ, लौंग, किशमिश, जायफल, माला आदि शामिल है.  

Discus