नीतीश कुमार को यूं ही सुशासन बाबू नहीं कहा जाता है. उन्होंने इस नाम को सार्थक करने के लिए कई ऐसे काम किये है. आइए जानते है नीतीश के पांच उन कामों को जिससे सुशासन बाबू की छवि उनपर फिट बैठती है.

1) नीतीश ने आम आदमी के लिए सूचना के अधिकार को सुलभ बनाने के लिए ‘जनकारी योजना’ शुरू की थी- साल 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडयू भाजपा के साथ मिलकर एनडीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा और पूर्ण बहुमत पाने में सपलता हासिल की. गठबंधन के फेस नीतीश कुमार सीएम दूसरी बार सीएम बने. आपको बता दें कि इसी आरटीआई (सूचना का अधिकार) कानून भी पास हुआ था. तब मुख्यमंत्री नीतीश ने आरटीआई एक्ट लागू होने के तुरंत बाद बिहार राइट टू इनफॉर्मेशन रूल्स, 2006 जारी किया और इस तरह बिहार में सूचना का अधिकार एक्ट प्रभावी हुआ.

इसके एक साल बाद 29 जनवरी 2007 को नीतीश ने ‘जानकारी’ कॉल सेंटर शुरू किया. इस कॉल सेंटर के जरिए बिहार के किसी भी कोने से अंगूठा छाप (अनपढ़) आदमी भी फोन के जरिए सूचना का आवेदन कर सकता था और जरूरी जानकारी हासिल कर सकता था.

2) नीतीश ने E-shakti NREGS कार्यक्रम, साइकिल और भोजन कार्यक्रम का शुरू किया था. इसके कारण स्कूल ड्रॉप करने की रेट में गिरावट आई- बिहार सरकार की ओर से सूचना एवं संचार तकनीक के इस्तेमाल द्वारा मनरेगा के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए इलेक्ट्रानिक मस्टर रौल 2007 में स्वीकृत की गई. फिर बाद में इसी को बहुउद्देशीय बनाने के मोटो के तहत ई-शक्ति कार्ड कर दिया गया. इससे मनरेगा जॉब कार्ड धारक को सही लाभ मिल पाया और मनरेगा के नाम पर हो रहे भ्रष्ट्राचार पर रोक लग सकी.

3) नीतीश ने महिलाओं के लिए चुनावी आरक्षण में 50 प्रतिशत और अत्यंत पिछड़ी जातियों, स्वास्थ्य योजनाओं और किसानों के लिए ऋण योजनाओं की शुरुआत की- नीतीश कुमार ने महिला सशक्तीकरण पर जोर देते हुए राज्य में पंचायतों व नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया. ऐसा पहल करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना. इससे समाज की आधी आबादी एवं विकास का एक पहिया महिलाएं, जनप्रतिनिधि के तौर पर निर्वाचित होकर आने लगीं. इससे उनका न केवल राजनीतिक सशक्तीकरण हुआ है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ा है और सामाजिक विकास को भी बल मिला.

4) नीतीश ने अपराधियों पर नकेल कसने और प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति सुधारने के लिए तेजी से कोर्ट ट्रायल के आदेश दिए गए.

5) नीतीश ने शराब की बिक्री और उपभोग पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दिया है. इसके वजह से राज्य में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और क्राइम में कमी आई है- नीतीश ने बिहार में एक अप्रैल 2016 से पूर्ण शराब बन्दी का कानून लागू कर दी. इसके तहत राज्य में शराब बेचना, रखना और पीना पूरी तरह प्रतिबंधित हो गया है. शराब बंदी के फैसले पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा था- "सरकार एजेंडा साफ है, जिस पर अमल करते हुए राज्य को शराब से मुक्त किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘राजस्व प्राप्ति के बहाने नई पीढ़ी को बर्बाद होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता. फायदा-नुकसान व्यापार में होता है, शराब में नहीं."

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