8 या 18 हर साल कितने भक्तों की होती है मौत ? जब हम हर साल गणेश विसर्जन या दुर्गा विसर्जन की तस्वीरें देखते हैं। तो एक तरफ खुशी और भक्ति का माहौल होता है। वहीं दूसरी तरफ कुछ दुखद खबरें भी आती हैं। विसर्जन के दौरान डूबने से या अन्य हादसों में लोगों की मौत की खबरें अब आम हो गई हैं। यह एक गंभीर समस्या है जिसके कई कारण हैं।
यह कहना मुश्किल है कि ऐसी घटनाएँ कब तक चलेंगी, लेकिन समाज में बदलाव धीरे-धीरे आ रहा है। यह पूरी तरह से लोगों की जागरूकता, सरकारी प्रयासों और सामाजिक संगठनों की पहल पर निर्भर करता है।
परंपरागत रूप से, विसर्जन जल निकायों जैसे नदियों, झीलों और समुद्र में किया जाता रहा है। इसके पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि भगवान गणेश अपनी पृथ्वी यात्रा समाप्त करके जल तत्व में वापस लौट जाते हैं। जल को जीवन का स्रोत और पवित्र माना जाता है। लेकिन, आधुनिक युग में जब जनसंख्या और प्रदूषण दोनों बढ़ रहे हैं, यह तरीका पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक साबित हो रहा है। प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP), रासायनिक रंगों और प्लास्टिक से बनी मूर्तियों के कारण जल प्रदूषण बहुत बढ़ गया है। इससे न सिर्फ जलीय जीवन को खतरा होता है, बल्कि पानी का उपयोग करने वाले मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।
हर साल, देश भर में गणेश विसर्जन और दुर्गा विसर्जन जैसे आयोजनों के दौरान औसतन 10 से 30 लोगों की मौत होती है। यह संख्या साल-दर-साल बदलती रहती है और यह आँकड़ा पूरे भारत का मिलाकर होता है। यह सिर्फ एक अनुमान है और अलग-अलग जगहों पर कम या ज़्यादा हो सकता है। इनमें से ज़्यादातर मौतें डूबने के कारण होती हैं, लेकिन भगदड़, बिजली का करंट, और सड़क दुर्घटनाएँ भी इसका हिस्सा होती हैं। यह दुखद है कि उत्सव के दौरान इतने लोगों की जान चली जाती है, और इसी वजह से सुरक्षा के नियमों का पालन करना बहुत ज़रूरी है।