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"मेघा जल्दी करो हमें अविनाश के घर जाना है", मेघा की मां बोली! "मां आपलोग चली जाओ ना मेरा मन नहीं कर रहा, पढ़ाई भी करनी है" मेघा अपनी मां से बोली असल में मेघा के पापा और अविनाश के पापा दोनों एक ही बैंक में जॉब करते थे और दोनों बहुत अच्छे दोस्त भी थे. मेघा के पापा तो अक्सर अविनाश के घर उसके पिताजी के साथ जाया करते थे. 

एक दिन अविनाश की मां हंसते हुए मेघा के पापा से बोली, "भाई साहब" मैं बहुत दिनों से एक बात कहना चाह रही थी, मेघा भी अपनी पढ़ाई पूरी कर चुकी थी. अविनाश भी पढ़ाई पूरी करके जॉब करने लगा मुझे आपकी मेघा बहुत पसंद है! अगर आपको कोई एतराज ना हो तो क्या हम अविनाश और मेघा कि रिश्ते के लिए बात कर सकते हैं!

"अरे क्यों नहीं भाभी जी, आपने तो मेरे दिल की बात कह दी. अविनाश से ज्यादा समझदार और होनहार लड़का मुझे और कहां मिलेगा" मेघा के पापा ने हंसते हुए कहा! अपने घर आकर मेघा के पापा ने अपनी पत्नी से सारी बात बताई वह भी बहुत खुश हुई. आज पूरा घर अविनाश के घर जाने के लिए उत्साहित था!

मेघा वहां जाने के नाम से बार-बार मना कर रही थी...फिर मां के बहुत कहने के बाद गई. घर के सारे लोग अविनाश के घर पहुंच गए! वहां जाने के बाद मेघा की मां और मेघा की तो मानो आंखें फटी की फटी रह गई, इतना शानदार घर... छत से लटकती महंगे झूमर...नीचे बिछी हुई शानदार कालीन...मेघा की मां मन ही मन सोचने लगी भगवान किसी तरह इसी लड़के से मेरी बेटी की शादी हो जाए!

अविनाश के घरवाले भी बहुत अच्छी तरह से उनलोगों की स्वागत करने में लगे थे. अविनाश भी वहां आया और सारे बड़ों के पैर छुए...अविनाश और मेघा काफी देर तक एक दूसरे को देखते रहे तभी अविनाश के पापा बोल पड़े, "देखो भाई हम लोगों को तो रिश्ता मंजूर है." पर एक बार इन लोगों की भी आपस में बात हो जानी बहुत जरूरी है, मेघा की मम्मी-पापा भी तैयार हो गए. 

दोनों को बगल में ही एक कमरे में बात करने के लिए भेज दिया गया साथ में मेघा की छोटी बहन भी थी. काफी देर तक दोनों की बातें चलती रही. अचानक अविनाश बोल बैठा- "देखो मेघा मैं मां- पापा के अकेला संतान हूं...हो सकता है मुझे जॉब के लिए इंडिया से बाहर भी जाना पड़े ऐसी हालात मैं तुम्हें साथ में नहीं ले जा सकता." मैं यह सब बातें इसलिए बोल रहा हूं जिससे कि आगे चलकर प्रॉब्लम ना हो. मेघा वहां तो कुछ नहीं बोली घर आकर अपनी मां से कहने लगी, मां मैं अविनाश से शादी नहीं कर सकती"

"क्यों अचानक से ऐसा क्या हुआ कि तुम शादी से मना कर रही हो." मेघा की मां अपनी बेटी को समझाते हुए बोली देख बेटा अविनाश से अच्छा लड़का तुझे नहीं मिलेगा और अविनाश के पापा और तेरे पापा अच्छे मित्र भी हैं कल को अगर कोई समस्या हुई तो आपस में बैठकर मामले को सुलझा भी सकते हैं.

"अरे मां मैंने कहा ना आपसे मुझे नहीं करनी तो नहीं करनी" मेघा गुस्से में बोली मां को भी गुस्सा आ गया और बेटी से बोलने लगी अगर तुम अभिनाश से शादी नहीं की तो मैं आत्महत्या कर लूंगी....मजबूरी में बेचारी मेघा तैयार हो गई.

मेघा और अविनाश की शादी अच्छे से संपन्न हो गई मेघा अपने ससुराल चली गई ससुराल में अविनाश की मां मेघा को बिल्कुल अपनी बेटी जैसे रखती थी. मेघा मन ही मन सोच रही थी, "मैंने कितना बुरा सोचा था इन लोगों के लिए" यह लोग तो वाकई बहुत अच्छे हैं अगर अविनाश को जॉब के लिए बाहर जाना भी पड़ता है तो कोई बात नहीं ये लोग इतना प्यार करते हमसे कि हम इनके साथ आराम से रह सकते हैं.

फिर एक दिन मेघा रात में अविनाश से बोलने लगी" सच बताओ अविनाश जब आपने मुझसे कहा था कि मुझे बाहर भी जाना पड़ सकता है इंडिया से, तो मैं अपने घर जाने के बाद शादी के लिए मना कर दी थी अपने मम्मी पापा से...पर सच बताऊं तो आपके मम्मी-पापा तो इतने अच्छे हैं इनके साथ तो पूरी जिंदगी रहे तो भी कोई तकलीफ नहीं हो सकती कभी-कभी हम जैसा सोचते हैं वैसा बिलकुल भी नहीं होता!

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