File Photo: Gargi Chaturvedi

14 जून को सुशांत सिंह राजपूत की बरसी थी। बेहद दुखद है किसी इंसान का इस दुनिया से वक्त से पहले चले जाना। पर एक मानव शरीर में होने के नाते मेरी अपनी सीमाएं हैं। किसी को कैसे इस सृष्टि पर आना है जाना है इसका पता चल जाए तो इंसान समय पर भी अपना आधिपत्य स्थापित कर ले।

जब भी मैंने सुशांत सिंह के बारे में गहन विचार किया तो उसके पीछे कि समस्या अधिक प्रभावशाली दिखी । मसलन उनका आत्महत्या करना हो या हत्या दोनो संभावनाओ ने ही एक अहम चर्चा को जन्म दिया जो अभी तक ध्यान आकर्षित नही कर सकी है। क्योंकि इंसान, अधिकतर एक सीमित सोच का मालिक होता है तो वो अक्सर दूरगामी परिणाम को देखने में विफल रहता है।

साल 2018, जन्माष्टमी महोत्सव पर एक खबर आग की तरह फैली पूरे कानपुर में की आईपीएस सुरेंद्र दास (एसपी पूर्व ) ने खुदकुशी कर ली है । बड़ी हैरानी हुई सुन कर कि देश की सबसे बड़ी प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी इतना नादानी कोई कैसे दिखा सकता है? इस हादसे के बाद सुरेंद्र दास के परिवार ने तमाम तरह के आरोप जड़ दिए उनकी पत्नि डाक्टर रवीना पर। 

मानसिक उत्पीड़न से लेकर परिवारिक कलह सबका जिम्मेदार ठहराया गया उनकी बीबी को। जब सामाजिक दमन अधिक हुआ तो डाक्टर रवीना के पिता ने वो तमाम ईमेल , पत्र सार्वजनिक कर दिए जिस पर आईपीएस दास खुद इस बात को स्वीकार कर रहे थे की पहले दो बार भी आतमहत्या का प्रयास कर चुके थे। उनके पत्र ईमेल्स साफ इशारा कर रहे थे उनके मानसिक तनाव और अवसाद की ओर। डाक्टर रवीना की गलती बस यह थी की वो उनकी बीवी थी। सूत्रों से यह भी पता चला की उनका निराशाजनक रवैया नौकरी में आने के पहले से ही था।

यह अकेली कहानी नही है। समाज में यही होता आया है। पद, प्रतिष्ठा, पैसा अगर है तो इंसान मानसिक रूप से भी स्वस्थ होगा इसका अनुमान लगाया जाता है। सबसे अधिक गलती उन मां बाप की है जो अपने बच्चो को बिना किसी का अतीत जाने सौप देते है। पर उससे भी ज्यादा गलती उन मां बाप कि है जिनको अपने बच्चो में कोई कमी नहीं दिखाई देती। 

उनकी लड़की बिल्कुल ठीक थी पर लड़के ने मार डाला या फ़िर लड़का राजा बाबू था पर लड़की खराब मिली, बेटे को बर्बाद कर दी। अगर ऐसा चलता रहा तो वो दिन दूर नही की लोग शादी के बंधन से आजाद रहना ही पसंद करेंगे। साफ बात है की बंधन किसी के स्वाभिमान, संस्कार या काबिलियत से समझौता नहीं कर सकते। अगर इंसान बदल रहे हैं तो संस्था के ऊसूल क्यो नही?

कुएँ के मेंढक को उतना ही आकाश दिखाता है जितना कुएँ का संसार होता है। दूसरे के लिए इंसाफ तब मांगे जब खुद के साथ करा हो......

Discus