Harbhajan Singh Instagram Story on Bhindranwale

पाकिस्तान की तरह खालिस्तान के मसले पर भी जिन्हे लगता है कि कुछ लोग अलग देश की मांग कर रहे हैं पर बाकि कौम हमारे साथ है, उन्हें हरभजन सिंह के बयान से सावधान हो जाना चाहिये। हरभजन सिंह ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी शेयर की है, जिसमें उन्होंने 1984 में स्वर्ण मंदिर के अंदर हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मारे गए खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले को शहीद बताया है. 

भज्जी निक नेम से मशहूर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ऑफ स्पिनर हरभजन के इस स्टेटस से हड़कंप मच गया। हालांकि हरभजन ने स्पष्ट रूप से भिंडरावाले का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी इंस्टाग्राम स्टोरी में भिंडरावाले की तस्वीर प्रमुखता से दिखाई गई है।

बता दें कि ऑपरेशन ब्लू स्टार को एक जून से 8 जून 1984 तक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अंजाम दिया गया था. यह इंडियन आर्मी की ओर से किया गया एक बड़ा मिशन था। तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पंजाब में बिगड़ते हालात को देखते हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया गया था। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करके भिंडरावाले के नेतृत्व वाले आतंकवादियों को खदेड़ था, जो सिख समुदाय के लिए खालिस्तान के नाम से अलग देश बनाना चाहते थे।

वास्तविकता ये है कि जो कट्टर है, उसका एक चरित्र है, एक भावना है जिसके आवेग में वो मरने मिटने को तैयार है पर जो मौन है वो उससे भी बडा कट्टर है, उसका कोई चरित्र नहीं है साथ ही वो घनघोर अवसरवादी भी है। पाकिस्तान की तरह अलग देश की मांग पूरे सिक्ख समाज की है न कि केवल भिंडरवाले की या कुछ लोगों की।

हरभजन सिंह के मुख से जो निकला वो गलती नहीं है बल्कि मौन वाले सिक्ख समाज की चुप्पी वाली स्वीकृति है। अगर खालिस्तानी केवल उपद्रवी होते तो उन्हें कभी भी स्वर्ण मन्दिर में स्थान नहीं मिलता और स्वर्ण मन्दिर उनकी काली करतूतों का आड्डा नहीं बन पाता और नाही वहां आपरेशन ब्लूस्टार चलाना पड़ता।

हालांकि अलग देश की मांग मे आश्चर्य की कोई बात नहीं है क्योंकि जब स्वार्थ और नीचता अपने चरम पे हो तो व्यक्ति खुद को ही अलग देश समझने लगता फिर यहां तो पूरी की पूरी कौम है, वो भला अलग देश की मांग क्यों न करे। भारत की विविधता के सन्दर्भ में एक झूठा उदाहरण दिया जाता है कि एक बगीचे में जैसे अलग–अलग फूल बगीचे की शोभा बढाते हैं वैसे ही हम अलग अलग कौम के लोग इस देश की शोभा बढाते हैं।

जबकि सच्चाई ये है कि हमारे देश की विविधता उस खुले जंगल की तरह है जहां हर एक जानवर दूसरे को खाने की फिराक में है जिसको मौका मिला वो दूसरी कौम को खा जायेगा। अगर ऐसा न होता तो मुट्ठी भर जिन्ना के समर्थकों को बाकि मुस्लिम कौम ने क्यों नहीं समाप्त कर डाला और मुट्ठी भर खालिस्तान समर्थकों को सिक्ख कौम के लोग ही क्यों नहीं समाप्त कर देते हैं।


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