Is Coronavirus a Chinese Biological Weapon? अमेरिका के हाथ चीन की एक खुफिया रिपोर्ट लगी है, जिसमें जैविक हथियारों का जिक्र हैं.

कोरोना का कहर पिछले एक साल से पूरी दुनिया पर टूट रहा है और जब इसकी शुरुआत हुई थी तब भी शक जाहिर किया गया था कि चीन ने ये वायरस अपेन लैब में तैयार है. चीन ने इस वायरस को इस मकसद से तैयार किया ताकि पूरी दुनिया को तबाही के गर्त में धकेल कर अपनी बादशाहत कायम किया जाये. वहीं चीन ने इसे महज एक अटकलबाजी बताते हुए वुहान के मीट मार्केट में मिलने वाले चमगादड़ के मांस को जिम्मेदार ठहराया था. तब पुख्ता तौर पर कोई सबूत नहीं थे. मगर अब है. अमेरिका के हाथ चीन की एक खुफिया रिपोर्ट लगी है, जिसमें जैविक हथियारों का जिक्र हैं.

अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी को मिले इस रिपोर्ट ने भूचाल ला दिया है, जिसके बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या कोरोना चीन का जैविक हथियार(बायोलॉजिकल वेपन) है? क्या कोरोना के ज़रिए चीन ने जैविक युद्ध(बायोलॉजिकल वार) की टेस्टिंग की है? क्या चीन वुहान की लैब में अब भी बायोलॉजिकल वेपन तैयार कर रहा है? क्या चीन की मंशा इन्हीं जैविक हथियारों से दुनिया को जीतने की है? क्या चीन ने जैविक आतंकवाद या बायोटेररिज्म की शुरुआत कर दी है? अगर हँ, तो क्या क्या बायोलॉजिकल वेपन की वजह से होगा थर्ड वर्ल्ड वार?

चीन का मकसद दुश्मन देशों के मेडिकल फैसिलिटी और इकोनॉमी को तबाह कर देना है. ताकि दुश्मन खुद उसके आगे घुटने टेक दे और ऐसा हो भी रहा है. कोरोना की वजह से हो रही इस तबाही पर गौर करें तो चीन को छोड़कर दुनिया के सभी बड़े और मजबूत इकोनॉमी वाले देश सबसे ज़्यादा नुकसान उठा रहे है. इनमें भी अमेरिका, ब्राजिल और भारत टॉप पर हैं. आपको बता दें कि ये वहीं देश हैं जो चीन को टक्कर दे रहे है. लेकिन कोरोना की वजह से इन देशों का हाल खस्ता हो रहा है और इस सदमें से ऊबरने में उन्हें सालों लग जाएंगे.

चीन को लेकर अमेरिका और ब्राजील जैसे देश साफतौर पर कहे चुके हैं कि उसने कोरोना वायरस को बायोलॉजिकल हथियार (Biological Weapons) के तौर पर तैयार किया है. इसी हफ्ते ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सनारो (Jair Bolsonaro) ने चीन की आलोचना की और कहा है कि उसी ने रसायनिक युद्ध छेड़ने के लिए कोविड बनाया है. बोल्सनारो ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है, ‘ये एक नया वायरस है, कोई नहीं जानता कि ये कहां उत्पन्न हुआ, लैब में या इंसानों ने कुछ जानवरों को खाया. सेना जानती है कि रासायनिक, बैक्टीरियोलॉजिकल और रेडियोलॉजिकल युद्ध क्या होता है. क्या हम एक नए युद्ध का सामना नहीं कर रहे हैं? किस देश ने अपनी जीडीपी को सबसे ज्यादा बढ़ाया है? मैं आपको नहीं बता सकता.’

वहीं अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी को मिले दस्तावेज में इस बात का जिक्र है कि चीन के वैज्ञानिक पिछले छह साल से थर्ड वर्ल्ड वार की तैयारी कर रहे हैं, जिसे कोरोना वायरस जैसे बायोलॉजिकल और जेनेटिक वेपेन से लड़ा जाएगा. इस हैरान कर देने वाले दस्तावेज (Secret Covid Document) में कहा गया है कि युद्ध में ‘जीत के लिए ये मुख्य हथियार होंगे’. इसमें लिखा है कि वो बेहतर परिस्थिति कौन सी होगी जब बायोलॉजिकल वेपन को जारी किया जाएगा और इससे ‘दुश्मन के मेडिकल सिस्टम’ पर क्या प्रभाव पड़ेगा. दस्तावेज लिखने वालों ने कहा है कि तीसरा विश्व युद्ध ‘बायोलॉजिकल होगा’ और बाकी के दो विश्व युद्ध से बिल्कुल अलग होगा. इसमें इन दो युद्धों को कैमिकल और न्यूक्लियर युद्ध बताया गया है.

इस खुलासे को यदि सच माने तो चीन 2015 से ही SARS कोरोना वायरस को मिलिट्री पावर के तौर पर इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा है. क्योंकि डॉक्युमेंट्स में जिन बातों का जिक्र आया है, वो कोरोनावायरस की तरफ ही इशारा कर रही है. फिर भी अभी तक ऐसे सबूत नहीं मिल सके हैं, जो ये साबित कर सकें कि कोरोना को जानबूझकर फैलाया गया है.

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