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इजरायल और फलस्तीन के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ गया है. ये तनाव अब हिसंक झड़प में तब्दील हो गया है. सोमवार शाम से हमास ने गाजा से रॉकेट दागने शुरू कर दिए और यहां से हिसंक संघर्ष शुरू हो गया. हमास के निर्वासित नेता इस्माइल हानियेह ने टेलीविजन पर दिए संबोधन में कहा कि इजराइल पर इस हिंसा की जिम्मेदारी है. इस्माइल ने आगे कहा कि इजराइली अतिक्रमण के कारण यरुशलम में हिंसा हुई और इसकी लपटें गाजा तक पहुंच गई.

वहीं इजरायल ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए हवाई हमला किया है. सोमवार शाम से मंगलवार दोपहर तक हमास ने इजरायल की तरफ 630 रॉकेट दागे हैं. सेना के मुताबिक इनमें से 200 रॉकेट्स को डोम मिसाइल डिफेंस बैटरीज ने इंटरसेप्ट किया जबकि 150 के करीब रॉकेट अपने निशाने से चूकते हुए गाजा स्ट्रिप के भीतरी इलाके में गिरे. 

हमास की तरफ से किए गए रॉकेट हमलों में एक भारतीय सहित दो महिलाओं की मौत हो गईं. जबकि दर्जन भर लोग घायल हुए हैं. हमले में मारी गई भारतीय महिला की पहचान केरल के इदुक्की जिले की सौम्या संतोष के रूप में हुई है. इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल से संयम बरतने और गाजा में कम बल का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया है.

दरअसल, इस नए विवाद एवं संघर्ष की वजह अल-अक्सा मस्जिद है. बीते हफ्ते शुक्रवार 7 मई को इजराइली पुलिस और फलस्तीनियों में हिसंक झड़प हो गई थीं. इसके पीछे इजरायली कोर्ट के एक फैसले को जिम्‍मेदार बताया जा रहा है. इजरायल की सेंट्रल कोर्ट ने पूर्वी यरूशलम में रह रहे 4 फलस्‍तीनी परिवारों को शेख जर्राह इलाके से निकालने का आदेश दिया. 

कोर्ट ने इन सभी जगहों पर दक्षिणपंथी इजरायली लोगों को बसाने का आदेश दिया. इस तनाव को ध्यान में रखते हुए पुराने शहर इजरायली पुलिस ने बैरियर लगा दिया ताकि रोजा तोड़ने के लिए फलस्‍तीनी वहां पर जमा न हों. फलस्‍तीनी लोगों ने इसे अपने जमा होने के अधिकार का उल्‍लंघन माना. वहीं पुलिस ने कहा कि वे कानून व्‍यवस्‍था बनाए रखने के लिए इकट्ठा हुए हैं.

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आपको बता दें कि अल-अक्सा मस्जिद को इस्लाम में तीसरा सबसे बड़ा पवित्र स्थल माना जाता है. इस्लाम धर्मावलंबी यरूशलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद को मक्का और मदीना के बाद तीसरा पवित्र स्थल मानते हैं. मुस्लिमों का मानना है कि रात की यात्रा (अल-इसरा) के दौरान पैगंबर मोहम्मद साहब मक्का से चलकर अल-अक्सा मस्जिद आए थे और जन्नत जाने से पहले यहां रुके थे. यह मस्जिद पहाड़ पर स्थित है. इसे दीवारों से घिरा हुए पठार के रूप में भी जाना जाता है. जिस जगह ये मस्जिद स्थित है उस परिसर को मुस्लिम समुदाय हरम अल-शरीफ के नाम से बुलाते हैं.

वहीं इस जगह को यहूदी धर्मावलंबी भी अपने लिए पवित्र मानते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि दीवारों से घिरे हुए पठार में टेंपल माउंट भी है जो यहूदी समुदाय के धार्मिक प्रतिक के रूप में जुड़ा हुआ है. यहूदी इस दीवार की पूजा करते हैं. यहां मौजूद वेस्टर्न वॉल को वह अपने मंदिर का आखिरी अवशेष मानते हैं. 

यहुदियों का मानना है कि टेंपल माउंट का निर्माण बाइबिल के समय हुआ जिसे रोमन साम्राज्य ने 70 ईस्वी में इसके पश्चिम हिस्से को छोड़कर बाकी नष्ट कर दिया. जबकि मुस्लिम समुदाय इसी दीवार को अल बराक की दीवार कहता है. उनका मानना है कि ये वही दीवार है जहां पैगंबर मोहम्मद साहब ने अल बराक को बांध दिया था. ऐसा माना जाता है कि पैगंबर मोहम्मद ने अल्लाह से बातचीत के लिए अल-बराक जानवर की सवारी की थी.

इजरायल, फलस्तीन और अरब देशों के मुस्लिम दीवारों से घिरे इस पठार पर अपना दावा करते आए हैं. ये स्थान पूर्वी यरूशलम में स्थित है और इस पर इजरायल का नियंत्रण है. 1967 में इजरायल के वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी समेत पूर्वी जेरुसलम को जीतने के बाद से इस जमीन को लेकर विवाद और बढ़ गया. बाद में, जॉर्डन और इजरायल के बीच इस बात पर सहमति बनी कि इस्लामिक ट्रस्ट वक्फ का कंपाउंड के भीतर के मामलों पर नियंत्रण रहेगा जबकि बाहरी सुरक्षा इजरायल संभालेगा.

बता दें कि रमजान के महीने में फलस्तीनी मुस्लिम बड़ी संख्या में नमाज अदा करने /यहां आते हैं. जबकि इजरायल को लगता है कि बड़ी तादाद में इकट्ठे होने से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है. इसलिए किसी अनहोनी से बचने के लिए इजरायल ने अल-अक्सा मस्जिद में नमाज के लिए लोगों की संख्या 10,000 तय कर दी. जबकि नमाज अदा करने के लिए इस लिमिट से कई गुणा फलस्तीनी मस्जिद आने चाहते थे लेकिन उन सभी को वापस भेज दिया गया. इन सभी कारणों से फलस्‍तीनी लोग नराज बताये जा रहे हैं.  

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