File Photo: Author Kavita Singh

"सौम्या तुम मेरे मम्मी - पापा से तो मिल ली अब अपने घरवालों से हमारे रिश्ते के बारे में बात कब करोगी? निशांत सौम्या से पूछा!

"निशांत तुम चिंता मत करो"मैं आज ही अपने मम्मी- पापा से हमारे रिश्ते के बारे में बात करूंगी...पर मैं लड़की हूं ना इसलिए डर लगता है कहीं घरवाले तैयार नहीं हुए तो?

"तुम एक बार बात करके देखो तो सही, अगर बात नहीं बनी तो मैं अपने घरवालों को भेजूंगा तुम्हारे घर पर हमारी शादी की बात करने निशांत बोला!

फिर दोनों "कॉफ़ी कैफे"से बाहर निकले अपने- अपने घर जाने के लिए!

सौम्या पूरे रास्ते एक ही बात सोच रही थी की जब वो अपने मम्मी- पापा से बताएगी अपने रिश्ते के बारे में तो वो क्या सोचेंगे? पर जैसे ही घर पहुंची मम्मी- पापा दोनों पास में ही बैठे थे! सौम्या मन ही मन में सोच रही थी इससे अच्छा मौका मुझे फिर कभी नहीं मिलने वाला......

"मां- पापा" मुझे आपदोनो से एक जरूरी बात करनी है सौम्या डरते- डरते पापा से बोली !

"हां- हां बेटा बोलो ना क्या बात करनी है तुम्हें? पापा मुस्कुराते हुए बोले...."पापा मैं और निशांत एक दूसरे को बहुत पसंद करते हैं और चार साल से दोस्त हैं अब हमदोनों शादी करना चाहते एक -दूसरे से डरते हुए सौम्या अपने पापा से बोली!

"ठीक है बेटा जब तुमदोनों एक दूसरे को पसंद करते हो और जीवन भर साथ रहना चाहते हो तो हमें कोई दिक्कत नहीं है इस रिश्ते से मैं और तुम्हारी मां कल ही निशांत के घर जाते हैं तुम्हारा रिश्ता लेकर सौम्या के पापा मुस्कुराते हुए बोले.....

दूसरे दिन सौम्या के सारे घरवाले निशांत के घर गए सिर्फ सौम्या को छोड़ कर निशांत के मम्मी- पापा ने भी इनलोगों के स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ा....दोनों की शादी धूम-धाम से करवा दी गई!

पांच-छह महीने तो सब ठीक- ठाक चलता रहा पर एक दिन सौम्या सासू मां से बोली "मम्मी जी रसोई में मसाले खतम हो गए बाजार से मंगवा दीजिए तो सासू मां बोली..

"बहू मैं तो हांथ से पीस कर ही इस्तमाल करती हूं. साबुत

मसाले रसोई के डब्बे में रक्खें हैं उसे सिलबट्टे पर पीस कर इस्तमाल करो ना बाजार से मेरे लिए आए पिसे मसाले ना तुम्हारे लिए आएंगे!

बेचारी सौम्या अपने कमरे में जाकर बहुत रोई जब निशांत को घर आने के बाद आज के घटना के बारे में बताई तो उसने साफ शब्दों में बोल दिया "मैं अपनी मां से कुछ नहीं बोल सकता."

दूसरे दिन रसोई के काम निपटाने के बाद सौम्या कपड़े धुलने के लिए" वाशिंग मशीन"लगा ही रही थी तभी सासू मां वहां आ गईं!

"अरे बहू" तुम कपड़े धुलने जा रही हो क्या?

" जी मम्मी जी" सौम्या बोली!

"हां तो गिने- चुने चार कपड़े धुलने हैं तुझे उसके लिए मशीन लगाने की क्या जरूरत है? वो तो तु हाथों से भी धूल सकती हो फालतू में बिजली फूंकने के लिए तैयार बैठी रहती है सासू मां बोली!

बेचारी सौम्या मन ही मन सोच रही थी ये कहां फस गई मैं? और रोने लगी पर वो ठान ली थी की मम्मी जी की सोच को बदल कर ही रहूंगी मैं.....

दूसरे दिन सासू मां के उठने से पहले ही सौम्या रसोई घर में "गैस चूल्हा"हटा कर वहां पर मिट्टी के चूल्हा रख दी और किसी से लकड़ी मंगवा ली और उसी से खाना बनाने लगी जब सासू मां उठीं तो पूरे घर में धुंआ- धुंआ देख कर उनको बहुत गुस्सा आया और रसोई में जाकर सौम्या पर चिल्लाने लगीं!

"अरे बहू ये तुमने क्या कर रक्खा है? पूरे घर को काला करोगी क्या ? सौम्या की सासू मां गुस्से में बोलीं अभी तो वो सिर्फ चूल्हे के लिए चिल्ला रहीं थीं इतने में उनकी निगाह कोने में रक्खि फ्रीज पर गई वहां फ्रीज के जगह पर मिट्टी की सुराही रखी हुई थी फिर तो उनके गुस्से का कोई सीमा हीं नहीं रहा...

तभी सौम्या उनसे लिपट कर प्यार से बोल!

"मम्मी जी मैं यही तो आपको समझाने की कोशिश कर रही थी, की आज के समय में गैस चूल्हे पर खाना लोग इसलिए बनाते हैं जिससे समय की बचत होती है....फ्रीज में सामान इसलिए रखते हैं जिससे घर में रक्खे खाने- पीने के सामान खराब ना हो सके.... मैं आपका अपमान नहीं करना चाहती थी पर आज के जमाने के हिसाब से चलना सीखें यही बेहतर होगा....

सासू मां के आंखो में आंसू आ गए और प्यार से उसके सर पर हाथ रख कर बोलीं सही बोल रही है तू मैं ही नहीं समझ पाई इन बातों को....

आज से तुझे जैसे अपना घर चलाना है चला मैं कभी कुछ नहीं बोलूंगी!


Discus