File Photo: Author Kavita Singh

"अनुकल्प तू घर आ रहा है या नहीं आ रहा "अनुकल्प के पिताजी उसे डांटते हुए बोले...

"पापा मैं खुद घर आना चाहता हूं "काफी दिन हो गए आए हुए,पर क्या करूं जब भी घर जाता हूं आपलोग शादी की बातें करते हो और मुझे अभी शादी नहीं करनी...अनुकल्प पिताजी से नाराज होते हुए बोला!

पिताजी ने कहा चल ठीक है इस बार शादी की बात कोई नहीं करेगा बस तू घर आजा बहुत दिन हो गए तुम्हें घर आए हुए इसलिए मां भी परेशान रहती है...पिताजी ने शांत होकर उसे समझाते हुए बोला!

अनुकल्प दूसरे दिन अपने घर पहुंचा मां -पिताजी -दादी मां बहुत खुश हुए उसे देखकर ,पर घर में कोई भी उसे नहीं बता रहा था कि उसकी शादी पिताजी अपने दोस्त की लड़की से तय कर चुके हैं !

" बेटा तुम्हें नींद नहीं आ रही ?मैं थोड़ी देर तुम्हारे पास बैठ जाऊं?रात के खाना खा लेने के बाद जब अपने कमरे में आकर अनुकल्प लेटा था तो उसकी मां बोलने लगी.......

"हां-हां मां क्यों नहीं "अनुकल्प अपनी मां से हंसते हुए बोला...

"अनुकल्प मैं तुमसे एक जरूरी बात करने आई हूं. तुम भड़कना नहीं बस मेरी बात ध्यान से सुनना, बिल्कुल शांत होकर सुनना...अनुकल्प की मां बोली!

"बोलो ना मां मैं आप पर कभी गुस्सा हुआ हूं क्या? अनुकल्प मां से बोला ...

"बेटा तुम्हारे पिताजी ने तुम्हारी शादी तय कर दी है....तुम लड़की को बहुत अच्छे से जानते हो वह तुम्हारे पिताजी की दोस्त की बेटी है अगर तुमने यह शादी नहीं किया तो समाज में इस शहर में मेरी बहुत बदनामी होगी अनुकल्प की मां बोली!

"पर मां वह गवार लड़की मुंबई जैसे महानगर में मेरे साथ कैसे रह सकती है,उसे तो हाई सोसाइटी के कोई तौर-तरीके ही पता नहीं है और आपलोग बिना मुझसे पूछे मेरे गले में फांसी के फंदा डाल रहे हैं...अनुकल्प गुस्सा होकर मां से बोला !

कुछ दिन बाद अनुकल्प की शादी का दिन आया उस दिन उसने मुंबई से अपने सारे दोस्तों को बुलाया था,उसके सारे दोस्तों में एक पति-पत्नी थे पंकज और आशिता ...आशिता बेहद खूबसूरत और काफी- पढ़ी लिखी थी मतलब उनकी जोड़ी हर महफिल की शान हुआ करती थी !

धूमधाम से अनुकल्प की शादी नैना से करवा दी गई,परिवार में इस शादी से सभी खुश थे सिर्फ अनुकल्प को छोड़कर ....

धीरे-धीरे अनुकल्प की छुट्टियां भी खत्म हो गई अब उसे मुंबई वापस जाना था,माता-पिता दोनों कहने लगे बहू को भी साथ ले जा मजबूरी में अनुकल्प को नैना को साथ लेकर जाना पड़ा !!

एक दिन पंकज और आशिता दोनों फोन करके अनुकल्प और उसकी वाइफ नैना को डिनर पर आमंत्रित किए ..

"भाभी आज नैना की तबीयत ठीक नहीं है"मैं अकेला ही आ जाऊंगा अनुकल्प ने अपने दोस्त की वाइफ से बोला और अकेले ही डिनर के लिए चला गया!

काफी समय तक ऐसा ही सब कुछ चलता रहा जब भी कोई दोस्त बुलाता था दोनों को पार्टी वगैरह में अनुकल्प हमेशा मना कर देता था...कुछ दिनों तक तो नैना सब कुछ बर्दाश्त करते रहे फिर उसके सब्र का बांध टूट गए एक रात अपने घर पर फोन करके अपने पिताजी से बोलने लगी क्यों जबरदस्ती शादी किया आपने मेरी इनके साथ कोई भी आमंत्रित करता है तो अकेले ही चले जाते हैं ....पर उसके माता-पिता ने प्यार से समझा दिया !

फिर नैना सोसाइटी के बच्चों को ही पढ़ाने लगी थी जिससे कि उसका ध्यान फालतू की चीजों में ना जाए और वह अपनी ही दुनिया में व्यस्त रहती थी अब उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था कोई साथ में ले जाए या ना ले जाए इस बात से!

देखते-देखते इन दोनों की शादी के 1 साल हो चुके थे,पर सब कुछ वैसे ही चल रहा था जैसे पहले था...पर एक रात पंकज आधी रात में अनुकल्प को फोन कर रहा था कि भाई तू मेरे घर पर आजा बहुत ज्यादा जरूरत है तुम्हारी अनुकल्प भी डर गया पता नहीं क्या बात है?

इस समय फोन करने का क्या मतलब हो सकता है?

जब पंकज के घर पहुंचा तो वह बहुत ज्यादा पी रखा था और रोए जा रहा था जैसे ही अनुकल्प उसके घर पहुंचा पंकज उससे लिपट कर रोने लगा!

"अरे यार बता तो क्या बात है ? अनुकल्प ने उससे प्यार से पूछा

, "अनुकल्प आशिता हमेशा के लिए घर छोड़ कर जा चुकी हैं,

वो कहती है कि तुम्हारी सैलरी से कुछ नहीं होता घर खर्च भी ठीक से नहीं चल पाता और जब मैंने उससे कहा कि तुम खुद पढ़ी-लिखी हो कुछ कर लो तो बोलती है कि क्यों करूं पति तुम हो तुम्हारी जिम्मेदारी है पूरा करना मेरी शादी जॉब करने के लिए या पैसे कमाने के लिए थोड़ी ना हुई थी तुमसे

और अपने माता-पिता के घर चली गई!

"यार पंकज कैसे ये सब हो गया? तुम दोनों तो हर महफिल के शान हुआ करते थे. इतनी अच्छी जोड़ी थी तुम दोनों की फिर अचानक से यह सब कैसे हुआ?अनुकल्प बोला !

"अनुकल्प तो बहुत भाग्यशाली है कि तेरी शादी नैना भाभी से हुई है ,पता है तेरी हर बात का ख्याल रखती हैं तुझे क्या पसंद है क्या नहीं पसंद है फोन करके मुझसे पूछती रहती थी ...और तेरी मदद करने के लिए सोसाइटी के बच्चों को पढ़ाना भी शुरू कर दी बहुत ही नसीब वाला है तू इतना साथ देने वाली पत्नी मिली है !

उस दिन अनुकल्प की आंखों में आंसू आ गए और मन ही मन अपने आप को कोस रहा था कि मैंआज तक कभी नैना को नहीं समझा कभी आज तक उसका हक उसको नहीं दीया ....

फिर पंकज को सुलाकर अपने घर चला गया,जैसे ही घर पहुंचा नैना को देखकर उसकी आंखें भर आई और बहुत रोया!!

उस दिन से नैना और अनुकल्प की जिंदगी एक अलग मोड़ ले ली!


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