Kulbhushan Jadhav case

पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में एक बिल पास हुआ "इंटरनेशनल कोर्ट (समीक्षा और पुनर्विचार) अध्यादेश, 2020"। जब ऑर्डिनेंस पेश हुईं एसेंबली में तो बहुत हो हल्ला हुआ। पहला कारण था विरो सीसीध का क्योंकि बिल के बारे में विपक्ष को कुछ नही बताया गया था । पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बिलावल भुट्टो ने भी अपनी नाराज़गी पेश की बिल को लेकर । दूसरा कारण था कोरम ( quorum) का ना होना। 

बता दें कि किसी सभा, संसद, सीमित या कार्यकारिणी की बैठक में लिये आगत न्यूनतम आवश्यक सदस्यों की संख्या को कोरम कहते हैं। इस न्यूनतम आवश्यक संख्या की उपस्थिति के बिना सभा या समिति या विधायिनी के कार्य को वैधानिकता प्राप्त नहीं हो सकती। इसके बावजूद भी पाकिस्तान के लॉ मिनिस्टर फरोग नसीम ने इस बिल को हाउस में पेश किया और पास करा ले गए।

नेशनल असेंबली में फारोग नसीम ने स्पष्ट किया कि भारत के कुलभूषण जाधव की सजा को "माफ नहीं किया गया है और न ही सरकार ने उन्हें "एनआरओ" दिया है। एनआरओ यानी नेशनल रिकॉन्सिलिएशन ऑडि्‌नन्‍स्‌ पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जेनरल परवेज मुशर्रफ ले कर आए थे अपने कार्यकाल में जिसके तहत किसी भी अपराधी की सजा या तो माफ करी जा सकती है या उसके ऊपर चल रहे मुकदमे, कानूनी कार्रवाई खारिज़ करी जा सकती है। 

इंटरनेशनल कोर्ट (समीक्षा और पुनर्विचार) अध्यादेश, 2020 के अनुसार अब कुलभूषण जादव देश के हाईकोर्टों में अपनी सजा के विरुद्ध अपील कर सकेगे। पाकिस्तान का यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम माना जा सकता है क्योंकि पाकिस्तान के ऊपर काफ़ी अंतराष्ट्रीय दबाब है , ख़ासकर भारत द्वारा। पाकिस्तान का ऐसा मानना है की अगर कुलभूषण जादव को राजनयिक पहुंच प्रदान नही होती तो भारत प्रतिबंधों के लिए यूएनएससी से संपर्क कर सकता है।

अप्रैल 2017 को, जाधव को पाकिस्तान में फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी। 18 मई 2017 को, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने मामले पर अंतिम निर्णय लंबित रहने तक निष्पादन( मौत की सजा) पर रोक लगा दी थी । 17 जुलाई 2019 को, अदालत ने जाधव की रिहाई के लिए भारत की अपील को खारिज कर दिया और पाकिस्तान को फांसी को निलंबित करने का आदेश दिया। 

इसने फैसला सुनाया कि पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव के मुकदमे और दोषसिद्धि की पूरी प्रक्रिया की समीक्षा करनी होगी और भारत को कांसुलर एक्सेस प्रदान करना होगा। पाकिस्तान ने एक बार भारत को कांसुलर एक्सेस दिया था। हालांकि बाद के भारत द्वारा करे गए अनुरोधों को अवरुद्ध कर दिया गया था। इंटरनेशनल कोर्ट (समीक्षा और पुनर्विचार) अध्यादेश, 2020" के आने के बाद कुलभूषण जादव का खुद को निर्दोष साबित करने का एक रास्ता साफ होता दिख रहा है।

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