Lakshadweep Dispute: Why are islanders protesting against administrator

भारत का सबसे छोटा संघ राज्यक्षेत्र लक्षद्वीप 32 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है जिसमें 36 द्वीपसमूह हैं. इनमें से 7 द्वीपों पर ही जनजीवन है. ये सभी द्वीप केरल के तटीय शहर कोच्चि से 220 से 440 किमी दूर, पन्ना अरब सागर में स्थित हैं. बता दें कि मलयालम और संस्कृत में लक्षद्वीप का नाम ‘एक लाख द्वीप’ है. इसकी राजधानी राजधानी कवरत्ती है. 

आमतौर पर इस द्वीप पर शांत का माहौल रहा है, लेकिन आजकल यहां अशांति है और इसका मुख्य कारण है प्रशासक प्रफुल पटेल की नीतियों को बताया जा रहा है. प्रफुल पटेल को 5 दिसंबर 2020 यानी करीब 5 महीने लक्षद्वीप का प्रशासक बनाया गया था. पटेल गुजरात के पूर्व विधायक है जो पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं.

लक्षद्वीप एक केंद्र शासित प्रदेश है, यहां कोई विधानसभा नहीं है. राज्य की कमान राष्ट्रपति की ओर से नियुक्त प्रशासक के हाथों में होती है. पटेल पर लक्षद्वीप के लोग सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने व बेवजह डर फैलाने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि हाल के कई प्रस्तावित नियम से हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक ढ़ांचे को ठेस पहुंची है. 

बता दें कि मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी वाले इस द्वीप पर बीफ बैन का प्रस्ताव लाया गया और अल्कोहल बैन हटा दिया गया, जो कि स्थानीय लोगों को नागवार गुजरा. स्थानीय लोगों की मान्यताओं के हिसाब से शराब पर प्रतिबंध था. अब प्रशासन ने पर्यटन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की आड़ में शराब लाइसेंस जारी करना शुरू कर दिया है. इस दौरान यहां सामाजिक-सांस्कृतिक ताना-बाना को नजरंदाज कर दिया गया.

जहां एक ओर 'लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन, 2021' के प्रस्ताव के तहत ‘एडमिनिस्ट्रेटर को टाउन प्लानिंग या किसी दूसरे डेवलपमेंट एक्टिविटी के लिए यहां के स्थानीय लोगों को उनकी संपत्ति से हटाने या ट्रांसफर करने का अधिकार दिया गया है. उसके बाद से ही स्थानीय स्तर पर विरोध शुरू हो गया है. 

यहां के लोग इस मसौदे को लोगों की भूमि को हड़पने वाला बता रहे हैं. वहीं दूसरी ओर 'प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल ऐक्टिविटीज ऐक्ट (PASA)' पेश किया. इस ऐक्ट के तहत, किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक तौर पर जानकारी दिए बिना, एक साल तक हिरासत में रखा जा सकता है. जबकि 28 मार्च को जारी पंचायत रेग्लूलेशन ड्राफ़्ट में एक और प्रावधान है, जिसके मुतबिक़ किसी भी ऐसे व्यक्ति को चुनाव लड़ने की इजाज़त नहीं होगी, जिसके दो से अधिक बच्चे हों.

इन सभी नियमों को लेकर यहां के लोग नाराज है और वे इन नियमों का विरोध करने के साथ-साथ पटेल को हटाने की मांग भी कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर #SaveLakshadweep ट्रेंड कर चुका है. कांग्रेस सहित वाम दलों ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी की आलोचना कर चुकी है. 26 मई बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मसले पर ट्विट किया, "लक्षद्वीप समुद्र में भारत का गहना है. सत्ता में बैठे अज्ञानी इसे नष्ट कर रहे हैं. मैं लक्षद्वीप के लोगों के साथ खड़ा हूं."

राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल और इलामरण करीम ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर मामले में दख़ल देने की अपील की है.

वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी लोगों की मांगों को समर्थन देने की बात की है. आपको बता दें कि मूल रूप से लक्षद्वीप के लोगों का रिश्ता-नाता केरल के मालाबार अंचल से जुड़ा है और वे कोच्चि से आते-जाते हैं. अब नए प्रशासक ने इस रूट की जगह कर्नाटक के मंगलूर से इसे जोड़ने की कवायद की है. कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है और केरल में वाम मोर्चे की. इससे इनकी मंशा को आसानी से समझा जा सकता है.

वहीं इस पूरे विवाद पर तिरुवनन्तपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी ट्वीट कर बीजेपी पर निशाना साधा है. थरूर ने अपने ट्वीट में लिखा "आपको लगता होगा कि बीजेपी पहले उन जगहों को बर्बाद करेगी, जहाँ वो चुन कर आई है, इससे पहले कि वो वहाँ जाए, जहाँ उनकी मौजूदगी नहीं है. लेकिन ऐसा लगता है कि उनका सिद्धांत है - अगर नहीं टूटा है, तो तोड़ दो."


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