success mantra by nehruvats

नये साल ने दस्तक दे दी है. इसी के साथ अच्छी-बुरी यादों को समेटे एक और साल बीत गया. क्योंकि समय कभी किसी का इंतजार नहीं करता है. वो अनवरत चलता रहता है. अगर आपने अपनी चाल वक्त के साथ मिला लिए तो दुनिया की हर सफलता आपके कदमों में होगी. आप नए साल नए टार्गेट बनायें, उसे पाने के लिए जीतोड़ मेहनत करें.

नयी गलतियां करें, उनसे सीखें. नये चैलेंज स्वीकार करें, इससे आपमें नयी समस्याओं का सामना करने की काबिलियत आएगी. उससे समाधान के नए रास्ते खुलेंगे. हो सकता है इसमें आप फिसल कर गिर जाये. लेकिन गिरने से ही उठने का तरीका मिलेगा. सबसे ज्यादा जो चीज जरूरी है वो है प्रयास करना, जिसे अपनाकर आप अपनी जिंदगी संवार सकते हैं.

जब बार-बार प्रयास करने के बाद भी सफलता न मिले. मन उचाट हो जाये, आगे और कुछ न दिखाई दे. मानो एसा लगने लगे कि अब सारे दरवाजे बंद हो गए तो एक अंतिम प्रयास और पूरी ईमानदारी से जरूर करें. खुद को उस काम में झोक दे जैसे वो काम ही आपकी सांस है. जिस तरह बिना सांस लिये आप जिंदा नहीं रह सकते. मान ले कि उस काम के बिना आप जिंदा नहीं रहने वाले.

आप सब इस कहावत से रूबरू जरूर हुए होंगे कि संघर्ष जितना बड़ा होगा. सफलता उतनी ही बड़ी होगी. यानी आप किसी काम में सफल नहीं हो पा रहे तो निश्चित रूप से उस काम के लिए आपके हिस्से का संघर्ष बाकी है. यानी जितना संघर्ष आवश्यक है उतना हुआ नहीं. ऐसी स्थिति में हमें कतई हिम्मत नहीं हारना चाहिए. वो काम कितना भी मुश्किल क्यों न हो, एक बार अंतिम प्रयास और पूरी ईमानदारी से जरूर करना चाहिए.

आज के इस टॉपिक को एक किस्सा के जरिये बताता हूं. इसे ध्यान से पढ़ें और जीवन में उतारने की कोशिश करें. यकीन मानिये आप सफलता के उच्चतम पायदान पर होंगे.

प्राचीन काल में एक राजा को पड़ोसी राज्य से मूल्यवान पत्थर गिफ्ट के रूप में मिला. राजा ने सोचा कि इतनी खूबसूरत पत्थर है! क्यों न इसका उपयोग भगवान की मूर्ति बनवाने में करें. उसने मंत्री को तुरंत बुलाया और आदेश देते हुए कहा कि किसी बड़े मूर्तिकार को हजार स्वर्ण मुद्राएं देकर इस पत्थर से बहुत सुंदर मूर्ति बनवाने की प्रंबंध करो.

मंत्री ने काफी खोज-बीन एवं जांचने-परखने के बाद एक अच्छे मूर्तिकार को ये काम सौंप दिया. मूर्तिकार खुश था कि उसे बहुत सारा धन मिलेगा. वह मूर्ति बनाने के लिए पत्थर तोड़ना शुरू कर दिया. मूर्तिकार बार-बार हथौड़े से वार कर रहा था, लेकिन पत्थर बहुत मजबूत था. वह टूट ही नहीं रहा था.

सुबह से शाम हो गई, लेकिन मूर्तिकार को पत्थर तोड़ने में सफलता नहीं मिल पाई. वह थक-हारके सोचने लगा कि इस पत्थर को तोड़ना असंभव है. पत्थर तोड़ने के संघर्ष में वो हिम्मत हार गया था. इसीलिए उसने मंत्री से कहा कि ये काम मेरे बस का नहीं है. अगले दिन मंत्री ने दूसरा मूर्तिकार खोजा.

दूसरा मूर्तिकार आया और जैसे ही पत्थर पर हथौड़ा से पहली चोट मारी तो वह टूट गया. ये देखकर मंत्री अचंभित हो गया. उसने गहन सोच-विचार किया कि कल तक जो काम असंभव था. वो आज हथोड़े की पहली वार से ही टूट गया. इसका मतलब है कि पहले वाले मूर्तिकार ने जो दिनभर पत्थर पर वार किए, उससे ये कमजोर हो गया था. अगर वह एक बार और प्रयास करता तो ये पत्थर टूट जाता और उसे उसकी मेहनत का पूरा फल जरूर मिलता, लेकिन वह बीच में ही हिम्मत हार गया.

इसलिए प्रयास कभी नहीं छोड़ने चाहिए. जब तक सांस है तब तक आस है. इस कहावत को जीवन का मूल मंत्र बना लीजिए. यकीन मानिये आप जरूर सफल होंगे. क्योंकि कभी-कभी चाबी के गुच्छे की अंतिम चाबी से ताला खुल जाता है. इसलिए कोई भी समस्या आये. उसका डटकर सामना करें और जब तक सफल न हो जाये तब तक प्रयास करते रहें. रुकना नहीं है. थकना नहीं है बस आगे बढ़ना. इन्हीं शुभकामनाओं के साथ हैप्पी न्यू ईयर!

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