कांटे की टक्कर में जीत दर्ज करने वाली एनडीए को 125 सीटें मिली हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि अब भाजपा बड़े भाई के रोल में है. भाजपा को 74 सीटों पर जीत मिली हैं, जबकि जेडयू को महज 43 सीटों पर जीत हासिल हुई हैं. आपको बता दें कि पिछले चुनाव में जेडयू को 71 सीटें मिली थीं. लेकिन अब सीटों की संख्या घटकर सिर्फ 43 रह गयी हैं.

रिफ्लेक्शन लाइव की टीम ने दिन-रात एक करके पूरे एक महीने 243 विधानसभा की सीटों को कवर किया जिसमें बदलाव की बयार तो दिखी लेकिन मतदाता नीतीश से नराज लगे, नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वो भरोसा जता रहा थे. इस तथ्य की झलक चुनावी नतीजे में साफ देखा जा सकता है. भाजपा 53 सीटों से बढ़कर 74 तक जा पहुंची. यहां तक कि जेडयू के स्टार प्रचारक भी पीएम मोदी के नाम पर वोट मांगते नज़र आये.

बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे खास बात ये रही कि भले ही एनडीए ने बहुमत के लिए जरूरी 122 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया हो, लेकिन इस चुनाव में विपक्षी ‘महागठबंधन’ का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 75 सीटें जीतकर राज्य की सिंगल लार्जेस्ट पार्टी के रूप में उभरा है. वहीं 74 सीटों के साथ भाजपा को दूसरा स्थान, जेडयू 43 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर और कांग्रेस 19 सीटों के साथ चौथे स्थान पर रही. रोचक तथ्य यह है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के तीनों चरणों में कुल वोटिंग 57.05 फीसदी हुई, जबकि 2015 में कुल वोटिंग 56.6 फीसदी रही थी.

पर सबसे बड़ी बात कि हारती हुई बाजी को एनडीए जीत कैसे गई. इस पर गौर करें तो पाएंगे कि तीन ऐसे कारण रहे जिसने एनडीए की जीत सुनिश्चित की.

महिलाओं का ज्यादा मतदान एनडीए के पक्ष में रहा

बिहार की राजनीति को बारीकी से समझने वाले शिवेश कुमार झा कहते है कि महिला मतदाताओं के वोट हमेशा नीतीश के पक्ष में ही जाते हैं. इस बार भी स्थिति ऐसी ही रही. इसबार महिला वोटर्स ने पुरुष के अपेक्षा 5 प्रतिशत ज्यादा मतदान किया. इससे एनडीए की जीत पक्की हुई.

पीएम मोदी के चेहरे पर भरोसा

मतदाताओं ने सरकार द्वारा चलाई गई कई योजनाओं पर भी विश्वास जताया और एनडीए के पक्ष में वोट किया. केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई कुछ महत्वकांक्षी योजनाओं का लाभ सीधे तौर पर वोटर्स को मिला. शौचालय का निर्माण, पक्का घर, मुफ्त राशन जैसी योजनाओं ने एनडीए की जीत की राह आसान कर दी.

मतदाताओं में रहा जंगलराज का भय

15 साल पूर्व लालू-राबड़ी के समय के जंगलराज का भय जनता को बराबर एनडीए के कार्यकर्ताओं एवं नेताओं ने याद दिलाया. वहीं एनडीए को मौन मतदाताओं का भी खूब समर्थन मिला.


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