मूवी रिव्यू: कुली नंबर वन

स्क्रिप्ट: रूमी जाफरी

डायलॉग: फरहाद सामजी

स्क्रीनप्ले: रूमी जाफरी

स्टारकास्ट: वरुण धवन, सारा अली खान, परेश रावल, राजपाल यादव और जावेद जाफरी आदि.

निर्देशक: डेविड धवन

रेटिंग: 2/5 स्टार

1993 में प्रभु और सुकन्या की जिस तमिल फिल्म ‘चिन्ना मपिल्लाई’ का डेविड धवन ने गोविंदा के साथ 1995 में रीमेक बनाया ‘कुली नंबर वन’ के नाम से, अब उसी का फ्रेम बाई फ्रेम रीमेक उन्होंने वरुण धवन के साथ बनाया है जो अमेजॉन प्राइम पर रिलीज हो गई है. ऐसे में तुलनाएं होना लाज़मी है. और तुलनाओं के हर पैमाने पर ये फिल्म गोविंदा वाली फिल्म के सामने कही नहीं टिकती. वरुण धवन अपने कैरेक्टर में बहुत लाउड लगते हैं. तेज़ी से डायलॉग बोलने का गोविंदा का स्टाइल जब वरुण कॉपी करते हैं, तब वो नैचुरल नहीं लगते हैं. डांस के मामले में भी गोविंदा वाला मैजिक गायब है. अभिनय के मामले में वरूण धवन, गोविंदा से कोसों दूर हैं.

फिल्म की कहानी लगभग पुरानी ही है. कादर खान की जगह इस बार परेश रावल ने ली है, जो अपनी कॉमेडी के लिए जाने जाते हैं. गोविंदा वाली 'कुली नंबर 1' में कहानी गांव पर आधारित थी, लेकिन इस बार लोकेशन को बदलते हुए गोवा कर दिया गया है. गोवा के रईस कारोबारी रोजारियो (परेश रावल) का ख्वाब है कि उनकी दोनों बेटियों की शादी अमीर लड़कों से हो जाए. इसलिए वो पंडित जय किशन (जावेद जाफरी) द्वारा लाये रिश्ते को इसलिए ठुकरा देते हैं और बेइज्जत करते हैं क्योंकि वे बस से आए एक मीडिल क्लास फैमिली से है. इसके बाद जय किशन उन्हें सबक सिखाने में जुट जाता है.

इसी बदले के लिए वह रोजारियो की बेटी की शादी कुली का काम करने वाले वरुण धवन से करा देता है. फिल्म में सारा अली खान का नाम सारा ही रखा गया है. शादी करने के लिए राजू (वरुण धवन) नाम बदलकर करोड़पति कुंवर महेन्द्र प्रताप सिंह बन जाता है. पर यह चाल कामयाब नहीं होती और असलियत खुल जाती है. इससे बचने के लिए राजू जुड़वा भाई की कहानी बुन लेता है. सारा से शादी के लिए वह एक के बाद कई झूठ बोलता जाता है और मुसीबत में फंस जाता है. वरुण इन झमेलों से कैसे निकलता है उसके लिए आपको ये फिल्म देखनी होगी.

पूराने जूतों में पैर घुसाने की कोशिश में फिल्म के डायरेक्टर डेविड धवन बूरी तरह असफल साबित हुए है. पहले जुड़वा और अब कुली नंबर 1 हर फिल्म का अपना समय होता, अपना एक मूड होता है. ऐसे में डेविड धवन ने अपनी ही फिल्म की रीमेक के साथ इंसाफ नहीं किया है. 1995 से 2020...25 सालों के फर्क को देखते हुए फिल्म में कुछ तब्दीली की जरूरत थी, लेकिन स्क्रिप्ट पर मेहनत नहीं की गई है. 25 साल पहले वाला हिंदी सिनेमा का दर्शक अब उनके भीतर से निकल चुका है. उनका जनता से कनेक्शन टूट चुका है. कहानी में कहीं कोई सहजता नही है. पूरी फिल्म में कुछ भी लॉजिक नही है.

गोवा का क्रिश्चियन परिवार एक पंडित के ज़रिए अपनी बेटियों के लिए दूल्हे ढूंढ रहा है, वहीं क्रिश्चियन वेडिंग करने वाली सारा पति के लापता होने पर उसकी कुशलता की मन्नत मांगने मंदिर जाती है. हैं न कमाल का सीन! मुंबई के स्टेशन पर कुली का काम करने वाला राजू चक्कों वाले सूटकेसों को भी सिर पर उठाकर चलता है, क्या सिन है! गोवा में फाइव स्टार हॉलीडे रिजॉर्ट चलाने वाला अमीर बिजनेस मैन इमरजेंसी-सिचुएशन में भी सफ़र करने के लिए फ्लाइट के बजाय ट्रेन को प्रायोरिटी देता है. अब ये सब ईलॉजीकल सीक्वन्स स्क्रीनप्ले में यदि थोपे नहीं जाते तो कहानी में ट्विस्ट कैसे आता! बतौर निर्देशक डेविड धवन कोई कमाल नही दिखा पाएं.

कॉमेडी के नाम पर वरूण धवन महज उछलकूद करते नजर आते हैं. सारा अली खान को अभी भी अभिनय के गुण सीखने होंगे. परेश रावल की कॉमिक टाइमिंग और राजपाल यादव का तुतलाना फिल्म को गति देने में नाकामयाब साबित हुई है. कुछ हद त कजावेद जाफरी और जानी लीवर अपने अभिनय से इस फिल्म को संभालते हैं.

फिल्म के डायलॉग लिखे हैं फरहाद सामजी ने...हालांकि ज्यादातर डायलॉग्स पिछली फिल्म से ही जस के तस उठाए गए हैं. गानों की बात करें तो 1995 की कुली नंबर वन के कुछ चार्टबस्टर गानों को रिक्रिएट किया गया है. संगीत कंपोज किया है तनिष्क बागची ने. तीन नए गाने भी हैं, लेकिन कोई प्रभावी नहीं हैं, ना ही फिल्म खत्म होने के बाद याद रहते हैं. कुल मिलाके 'कुली नम्बर 1' पुरानी फ़िल्म से अधिक भव्य और आलीशान तो लगती है, मगर बेहतर वर्ज़न कतई नहीं..!

Discus