बिहार विधानसभा 2020 के चुनावी दंगल में इस बार कांटे की टक्कर में एनडीए 125 सीटें जीतने में सफल रही और फिर से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने. वहीं 23 नवंबर सोमवार को नवगठित विधानसभा के पहले सत्र के पहले दिन नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ ग्रहण हुआ, जिसमें खूब सियासी सरगर्मियां भी देखने को मिली. जहां एक ओर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के विधायक अख्तरुल इमान ने देश का नाम भारत की जगह हिंदुस्तान लिखे जाने पर आपत्ति जताई, दूसरी ओर कटिहार के कदवा सीट जीतने वाले कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने संस्कृत भाषा में शपथ ग्रहण कर सांप्रदायिक शक्तियों को मुंहतोड़ जवाब दिया. ऐसा करके उन्होंने गंगा-जमुनी तहजीब,भाईचारे, एवं सौहार्द की अनूठी मिसाल कायम की.

विधायक शकील अहमद ने सोमवार को सदन में हिंदुस्तान पर एआईएमआईएम विधायक अख्तरुल इमान के विवाद पर नसीहत भी दे डाली. शकील अहमद बोले, “वे पहले भी विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. पहली बार उन्होंने जब विधानसभा की शपथ ली थी, तब क्या उन्होंने हिंदुस्तान शब्द पर ऐतराज जताया था, ये बात उन्हें याद करना चाहिए.” आपको बता दें कि विधानसभा का माहौल उस वक्त गर्म हो गया जब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल इमान ने शपथ लेते समय उसमें छपे देश के नाम हिंदुस्तान की जगह भारत बोलने की मांग रखी. इमान ने उर्दू में शपथ लेने की इजाजत भी मांगी. बतौर इमान संविधान में देश का नाम भारत लिखा हुआ है लिहाजा उन्हें भारत बोलने का हक है. बाद में उन्होंने उर्दू भाषा में शपथ लेते हुए देश का नाम भारत ही पढ़ा.

कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान जब संस्कृत में शपथ ग्रहण कर रहे थे, तब कई सदस्यों ने मेज थपथपाकर उनकी तारीफ की. सदन से बाहर निकलने के बाद शकील अहमद ने कहा, "उर्दू उनकी भाषा है. इसे आगे बढ़ाने के लिए विधानसभा के बाहर और अंदर मैं अपनी आवाज उठाता रहा हूं. संस्कृत हिंदुस्तान की रूह की जुबान है. यह सभ्यता और संस्कृति की भाषा है. यह अलग बात है कि समय गुजरने के बाद, आमलोगों की भाषा नहीं बन सकी."

कांग्रेस विधायक ने कहा, "संस्कृत मुझे शुरू से अच्छी लगती है. सभी भाषाएं सही हैं. यह सरकार की पॉलिसी होनी चाहिए कि न किसी भाषा से भेदभाव हो, नहीं किसी पर भाषा जबरन थोपी जाए." उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं का देश है और यहां सभी जुबानें बोली जाती हैं. आज बिहार सरकार भाषा को लेकर क्या कर रही है. आज स्कूलों में मातृभाषा को लेकर शिक्षक तक नहीं हैं."


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