2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए सुवेंदु अधिकारी ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है. सुवेंदु ने बुधवार 16 दिसंबर को टीएमसी विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया. वे विधानसभा में अपना इस्तीफा सौंपने के लिए पहुंचे थे लेकिन स्पीकर की गैरमौजूदगी में उन्होंने सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इसके कुछ दिन पहले वे राज्य कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. आपको बता दें कि सुवेंदु के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद पार्टी लगातार उन्हें मनाने की कोशिश में लगी थी. लेकिन सुलह की सारी कोशिशें नाकाम होने के बाद टीएमसी ने भी दो टूक शब्दों में कह दिया कि वह सुवेंदु को मनाने की कोई प्रयास नहीं करेगी.

सुवेंदु के इस्तीफे के बाद बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि रोजाना टीएमसी के नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. टीएमसी रहने लायक पार्टी नहीं है, वहां लोकतंत्र नहीं है, ऐसे में वहां के नेता परेशान होकर भाजपा में शामिल हो रहे हैं. बता दें ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सुवेंदु अधिकारी की बीजेपी के साथ बातचीत चल रही है. वहीं सुवेंदु के इस्तीफे के बाद बीजेपी के उपाध्यक्ष मुकुल राय ने कहा कि जिस दिन सुवेंदु अधिकारी ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था, मैंने बताया था कि अगर वह टीएमसी छोड़ देंगे और हम उनका स्वागत करेंगे तो मुझे खुशी होगी. सुवेंदु के इस्तीफा देने के बाद ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि गृह मंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे के दौरान शुभेंदु अधिकारी ज्वाइन कर सकते हैं. अमित शाह 19 दिसंबर को दो दिवसीय दोरे पर बंगाल जा रहे हैं.

इससे पहले सुवेंदु ने मंगलवार 15 दिसंबर को लोकल और आउटसाइडर्स के संबंध में चल रही बहस को लेकर टीएमसी को निशाना पर लेते हुए कहा कि अन्य राज्यों से आने वाले लोगों को बाहरी नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा कि वह पहले भारतीय हैं और फिर बंगाली हैं. उन्होंने टीएमसी नेतृत्व की भी आलोचना करते हुए कहा कि वह लोगों की अपेक्षा पार्टी को अधिक महत्व दे रहा है. एक रैली के दौरान उन्होंने ये भी बोल दिया था कि कुछ दिनों में उनके ऊपर कुल 11 बार हमले किए गए. जिसके बाद केंद्र सरकार ने उनकी सुरक्षा को बढ़ाते हुए उन्हें Z श्रेणी की सुरक्षा दे दी.

उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने कहा कि मैं जनता के साथ हमेशा खड़े रहूंगा. उन्होंने कहा कि मेरे परिवार में पूरा बंगाल आता है केवल 5-7 लोग नहीं. शुभेंदु ने कहा कि उनके ऊपर हो रहे हमलों से वे डरने वाले नहीं हैं. मैं अपने आलोचकों से मैं कहना चाहूंगा कि मेरे साथ जनता खड़ी है, यही मेरा परिवार है.

बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले में नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक शुभेंदु पिछले कुछ समय से पार्टी नेतृत्व से दूरी बनाये हुए थे. शुभेंदु ने 2009 में नंदीग्राम में वाम मोर्चा की सरकार के खिलाफ भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन में ममता के कदम से कदम मिलाकर काम किया था. जमीन पर जितना हो संभव हो सकता था, उतना संघर्ष उन्होंने किया और पार्टी को मजबूत बनाने में सहयोगी रहे. इसके बाद तृणमूल कांग्रेस 2011 में सत्ता में आई थी.

पार्टी से इस्तीफा देने के साथ ही वे अब खुलेकर ममता के खिलाफ मोर्चाबंदी करना शुरू कर दिया है. टीएमसी से जितने भी नेता नाराज चल रहे हैं, शुभेंदु सबको एक एकजुट करने की कवायद में जुट गए हैं. इस क्रम में वे सांसद सुनील मंडल और आसनसोल नगर निगम के प्रमुख जितेंद्र तिवारी समेत पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के साथ मुलाकात भी कर चुके है. इससे ममता को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. जिस तरह ममता के सिपाही एक-एक करके जा रहे हैं उससे ये तय है कि 2021 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य की राजनीति में भारी उथल-पुथल दिखने को मिल सकता है.

शुभेंदु के भरे पूरे राजनीतिक परिवार का आस पास के इलाके में भारी दबदबा है और माना जाता है कि छह जिलों की करीब 80 सीटों पर अधिकारी परिवार का सीधा असर है. ममता बनर्जी को शुभेंदु अधिकारी के साथ नहीं होने का असर इलाके की विधानसभा सीटों पर पड़ सकता है. 2006 में विधायक का चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे शुभेंदु 2009 और 2014 में सांसद का चुनाव जीते और लोकसभा पहुंचे. लेकिन 2016 में ममता ने उन्हें दिल्ली से कोलकाता बुला लिया और चुनाव जीतने के बाद शुभेंदु को कैबिनेट में शामिल कर लिया.

शुभेंदु के पिता शिशिर अधिकारी तीसरी बार संसद पहुंचे हैं और उससे पहले तीन बार विधायक भी रह चुके हैं. मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. शुभेंदु के छोटे भाई दिब्येंदु अधिकारी भी पहले विधायक रहे, लेकिन शुभेंदु के विधायक बन जाने के बाद जब उनकी खाली की हुई सीट पर उपचुनाव हुआ तो लोकसभा पहुंच गए. 2019 के मोदी लहर में भी वो अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे हैं. नंदीग्राम के इर्द गिर्द के जिन इलाकों में अधिकारी परिवार तृणमूल कांग्रेस का पताका फहरा रहा था, वहां मंजर बदला हुआ है. अब जगह जगह लगे बैनर पोस्टर पर लिखा है, दादा के अनुगामी मतलब, जो भी है सब शुभेंदु का है, जो दीदी यानी ममता का रहा वो अब नहीं है.

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