सरकार और प्रशासन ने किसानों के दिल्ली कूच को विफल बनाने के लिए सारी तिकड़म अपना ली, लेकिन ये सारी रणनीति किसानों के अटल इरादे के आगे फेल साबित हुई. तमाम जतन के बाद भी मसलन बॉर्डर सील, सड़को की खुदाई, कॉन्क्रीट के बोल्डर, कंटीले तार, ट्रक व जेसीबी मशीनों को आड़े-तिरछा लगाने, ठंड के मौसम में किसानों पर पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले दागने पर भी किसान अडिग रहें. कई जगहों पर किसानों और सुरक्षाबलों के बीच भिड़ंत भी हुई, लेकिन किसानों के काफिला नहीं रुके.

इस मुद्दे को लकेर विपक्ष भी मोदी सरकार पर जबरदस्त रूप से हमलावार है. प्रोटेस्ट पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, "PM को याद रखना चाहिए था जब-जब अहंकार सच्चाई से टकराता है, पराजित होता है. सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे किसानों को दुनिया की कोई सरकार नहीं रोक सकती. मोदी सरकार को किसानों की माँगें माननी ही होंगी और काले क़ानून वापस लेने होंगे. ये तो बस शुरुआत है!"

आपको बता दें कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान सड़क पर उतर आये है. वे इसी क्रम में 26 नवंबर को दिल्ली कूच के लिए पंजाब से चलते हुए हरियाणा होकर दिल्ली जा रहे थे. लेकिन सरकार के निर्देश पर उन्हें कई जगह रोकने की भरपूर कोशिश हुई. फिर भी किसानों का कारवां चलता रहा. वे देर रात तक किसान पानीपत तक पहुंच गए, जब किसान हरियाणा-दिल्ली स्थित सिंधु बॉर्डर पर पहुंचे तो पुलिस ने किसानों को वापस जाने को कहा. इसपर किसानों का पुलिस से झड़प भी हुआ.

बवाल बढ़ने के बाद किसानों को दिल्ली के बुराड़ी में मौजूद निरंकारी ग्राउंड में प्रदर्शन करने की इजाजत दी गई है. लेकिन इसके साथ ही ये शर्त लगा दी गई है कि वे इस दौरान दिल्ली के किसी और इलाके में नहीं जा सकेंगे. साथ ही इस दौरान पुलिस किसानों के साथ ही रहेगी. शुक्रवार को सीमा पर पुलिस के आंसूगैस एवं पानी के बौछार का सामना करने के बाद सैकड़ों किसान दिल्ली में प्रवेश किए अब भी हजारों किसान सीमा पर जमे हैं. दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी ईश सिंघल ने बताया कि किसान नेताओं से बातचीत के बाद दिल्ली पुलिस ने उनको शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी है, इसके लिए बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड को निर्धारित किया गया है. उनसे (किसानों) ये अपील है कि वो शांति बनाए रखें.

वहीं किसान प्रोटेस्ट पर बोलते हुए भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि 'नरेंद्र मोदी की सरकार किसानों के हित के लिए समर्पित है, समर्पित थी, समर्पित रहेगी. अगर किसानों को कुछ भी भ्रम है तो सरकार के दरवाजें बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं, हमने कांग्रेस की तरह नो एंट्री बोर्ड नहीं लगाया है.'


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