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तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर दिल्ली कूच करने की कोशिश में जुटे हरियाणा और पंजाब के किसानों को कैसे भी करके दिल्ली नहीं जाने देने की रणनीति में सरकार जुटी गई और इसके लिए जो-जो तरीके उसने अपनाए वो बेहद अजीबोगरीब है. दिल्ली-हरियाणा को जोड़ने वाले रास्ते पर पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए कॉन्क्रीट के बोल्डर, कंटीले तार, भारी वाहन, जेसीबी मशीनें तो लगाई ही. यहां तक ठंड के मौसम में किसानों पर पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले दागे गए. सरकार जब इससे भी जी नहीं भरा तो उसने सड़कों को ही खुदवा दिया.

किसान दिल्ली न आ सकें इसके लिए सड़कों को खोदा गया. कमाल है न! अगर यही काम किसानों ने किया होता तो उन्हें न जाने क्या-क्या कहा गया होता. उनपर कानून की धौंस दिखाकर कई दफाएं लगा दी गईं होतीं. पर, यहां तो सरकार ही सड़क खोद रही है. अब उस पर कौन जुर्माना लगाए. पर, मामला बनता तो है ही पब्लिक प्रॉपर्टी की नुकसान पहुंचाने का. खैर, सत्ता पर बैठे लोगों की इतनी अक्ल और समझदारी होती तो ये नौबत ही नहीं आती. अगर उनमें लोकतांत्रिक मूल्यों का फिक्र होता तो वे किसान की बात सुनते. किसानों के साथ संवाद करते. परंतु ऐसा कुछ हुआ क्या, नहीं न!

प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि उन्हें दिल्ली जाने से कोई नहीं रोक सकती. आपको बता दें कि किसान कई महीनों से तीन नए कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं. किसाने ने कहा कि हमे रोकने के लिए ऐसे-ऐसे उपाय किए गए, जैसे हम इस देश के नागरिक न होकर कोई दहशतगर्द हो. पर, सत्ता के नशे में डूबे उन्हें ये पता नहीं कि हम खेत के कांटों के बीच बड़े हुए हैं. कांटेदार तारों से हमें डर नहीं लगता है. मोदी सरकार के पास किसानों की आवाज सुनने एवं मांगे जानने का टाइम कहां है? वो तो किसानों के लिए गड्ढे खोदने में लगा हुआ है. पर उन्हें ये बात जान लेनी चाहिए कि जिस गड्ढे में वो किसान को धकेड़ना चाहते है, वो खुद उस गड्ढे में जा गिरेंगे. सरकार देश के अन्नदाता को रोकने के लिए जिस तरीके से दमन का सहारा ले रही है वो बेहद शर्मनाक है.

किसानों का अडिग रुख देखकर भौंचक सरकार ने बाद में उन्हें बुराड़ी के निरंकारी समागम स्थल तक आने की इजाजत दी. इस बीच शुक्रवार को दिल्ली पुलिस जो केन्द्र सरकार के अंदर आती है. उसने दिल्ली की केजरीवाल सरकार से 9 स्टेडियमों को अस्थायी जेलों में तब्दील करने की इजाजत मांगी जिसे दिल्ली सरकार ने खारिज कर दिया. दिल्ली सरकार का कहना है कि उसने किसानों की जायज मांगों को देखते हुए, दिल्ली पुलिस की स्टेडियम को जेल बनाने की अर्जी नामंजूर कर दी है. हमारा ये मानना है कि किसानों का आंदोलन अहिंसक है और उन्हें जेल में डालना इसका समाधान कतई नहीं हो सकता. हमने केंद्र सरकार को किसानों की सभी मांगों को तुरंत मान लेने के लिए कहा है.

वहीं गुरुवार और शुक्रवार के किसानों के गुस्से से घबड़ाई मोदी सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जरिए ये बात कहलवाई कि सरकार किसानों के साथ बातचीत करके उनके मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए तैयार है. तोमर ने ट्वीट कर कहा, " नए कानून बनाना समय की आवश्यकता थी, आने वाले कल में ये नए कृषि कानून, किसानों के जीवन स्तर में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं. नए कृषि कानूनों के प्रति भ्रम को दूर करने के लिए मैं सभी किसान भाइयों और बहनों को चर्चा के लिए आमंत्रित करता हूं."


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